कट्टरपंथी भारत-विरोधी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत, ढाका में भड़क उठी हिंसा

कट्टरपंथी भारत-विरोधी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत, ढाका में भड़क उठी हिंसा

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बांग्लादेश की राजनीति और छात्र आंदोलनों की आड़ में तख्तापलट करवाने वाला प्रभावशाली शरीफ उस्मान हादी की सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत हो गई है। 32 वर्षीय हादी इंक़िलाब मंच का संयोजक था और दिसंबर 2024 के छात्र प्रदर्शनों की आड़ में हिंसा भड़काने वाले प्रमुख नेताओं में शामिल था, जिसके चलते शेख़ हसीना सरकार का तख्तापलट हुआ। 12 दिसंबर को ढाका में हादी की हत्या के प्रयास में गोली चलाई गई थी, जिसके बाद उसे इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था। उपचार के दौरान 18 दिसंबर 2025 को हादी की मौत हो गई।

शरीफ उस्मान हादी आगामी फरवरी 2026 के आम चुनावों से पहले एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर सक्रिय रूप से प्रचार में था। छात्र आंदोलन के दौरान और उसके बाद अपने कट्टरपंथी इस्लामवादी रुख और खुले भारत-विरोधी बयानों के लिए उसे जाना जाता था। हादी ने सोशल मीडिया पर तथाकथित ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ के नक्शे साझा किए थे, जिसमें भारत के पश्चिम बंगाल, बिहार और पूरे पूर्वोत्तर राज्यों को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाया जाता है, जबकि जम्मू-कश्मीर और पंजाब को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया जाता है। इन गतिविधियों के कारण वह अपने देश के भीतर इस्लामी चरमपंथियों में काफी पसंद किया जाता था।

हादी की मौत के बाद बांग्लादेश के कई हिस्सों, खासकर ढाका में हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे। इंक़िलाब मंच और अन्य कट्टरपंथी संगठनों से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने दंगे शुरू किए है, प्रमुख समाचार पत्र, जैसे डैली प्रथम आलो और द डेली स्टार के कार्यालयों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई है। प्रदर्शनकारियों ने इन मीडिया संस्थानों पर पक्षपाती होने का आरोप लगाया है। इसके अलावा, भीड़ ने भारतीय राजनयिक मिशनों को भी निशाना बनाते हुए, भारत-विरोधी नारे लगाए और पत्थरबाज़ी की है।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने 20 दिसंबर को राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। सरकार और सुरक्षा एजेंसियां हालात पर नजर बनाए हुए हैं, हालांकि हादी पर हुए हमले के मामले में अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। जांच एजेंसियों ने 35 वर्षीय फैसल करीम मसूद को इस मामले का मुख्य संदिग्ध घोषित किया है। मसूद छात्र संगठन छात्र लीग का पूर्व नेता रह चुका हैं।

हादी की मौत और उसके बाद भड़की हिंसा ने बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मीडिया की भूमिका और पड़ोसी देशों के साथ बांग्लादेश के संबंधों को लेकर विचार करने को मजबूर कर दिया है।

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