बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) द्वारा सुनाई गई मौत की सजा को “पक्षपातपूर्ण”, “राजनीतिक रूप से प्रेरित” और “जनादेशहीन अंतरिम सरकार का प्रतिशोध” करार दिया है। नई दिल्ली से मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में हसीना ने कहा कि यह फैसला, “मुझे स्थायी रूप से राजनीति से बाहर करने की सोची-समझी योजना का हिस्सा है।”
78 वर्षीय हसीना, जिन्हें 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है, ने कहा कि वह इन आरोपों को “पूरी तरह निराधार” मानती हैं। उन्होंने कहा,“यह मुकदमा पहले से लिखा हुआ था। मुझे न अदालत में अपनी सफाई देने दिया गया, न अपने वकील चुनने का अधिकार मिला।” उनके अनुसार ICT “न तो अंतरराष्ट्रीय है, न निष्पक्ष”, और इसने “केवल अवामी लीग के नेताओं को निशाना बनाया है, विरोधी दलों द्वारा की गई हिंसा को पूरी तरह अनदेखा किया है।”
ICT ने उन्हें उकसावे, हिंसा के आदेश देने और बड़े पैमाने पर हुए अत्याचारों को रोकने में विफल रहने जैसे गंभीर आरोपों में दोषी पाया है। पूर्व गृह मंत्री असदुज़्ज़मान खान को भी मौत की सजा मिली है जबकि पूर्व पुलिस प्रमुख अब्दुल्ला अल-मामून को राज्य गवाह बनने पर पाँच साल की सजा दी गई।
हसीना का कहना है कि “दुनिया का कोई भी सम्मानित न्यायविद इस फैसले को न्यायपूर्ण नहीं कहेगा”। उन्होंने दावा किया कि अदालत का इस्तेमाल अवामी लीग को राजनीति से खत्म करने के लिए किया गया है।
हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर अवैध तरीके से सत्ता कब्जाने और चरमपंथी समूहों के समर्थन से शासन चलाने का आरोप लगाया। चरमपंथी बांग्लादेशी सरकार के अनुसार, यूनुस शासन में छात्र, मजदूर, डॉक्टर, और शिक्षक आंदोलनों को निर्दयता से दबाया गया, शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को गोली मारी गई, पत्रकारों को प्रताड़ित किया गया, और अवामी लीग समर्थकों के घर, दुकानें और संपत्तियाँ संगठित रूप से नष्ट की गईं।
UN की रिपोर्ट में छात्र आंदोलन के दौरान 1,400 मौतों की आशंका जताई गई थी। लेकिन हसीना ने कहा,“बांग्लादेश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 614 परिवारों को सहायता दी है। इतने बड़े अंतर के बावजूद अभियोजन ने बिना पहचान वाले सरकारी कर्मचारियों की गवाही पर भरोसा किया।” उन्होंने दलील दी कि सरकार के कदम “कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाए गए वैध कदम थे।”
हसीना ने जोर देकर कहा कि वह एक “निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय मंच” पर मुकदमे का सामना करने को तैयार हैं, “मैं अपने आरोप लगाने वालों से डरती नहीं। मुझे पता है कि ICC जैसे संस्थान में सच्चाई सामने आएगी।” उन्होंने दावा किया कि अंतरिम सरकार इसलिए अंतरराष्ट्रीय जांच से बच रही है “क्योंकि उन्हें डर है कि ICC मुझे बरी कर देगा।”
यह फैसला उस समय आया है जब फरवरी में चुनाव होने हैं और अवामी लीग पहले ही चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित है।
राजनीतिक विश्लेषक चेतावनी दे रहे हैं कि इस फैसले के बाद देश में अस्थिरता और बढ़ सकती है, क्योंकि अवामी लीग इसे न्यायिक प्रतिशोध घोषित कर चुकी है। एक तरफ ICT के फैसले को सरकार न्याय का बड़ा कदम बता रही है, वहीं शेख हसीना इसे राजनीतिक ‘शुद्धिकरण’ का हथियार कह रही हैं। बांग्लादेश अब एक निर्णायक राजनीतिक और संवैधानिक मोड़ पर खड़ा है।
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