अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक श्याम मानव ने अपनी दैवीय शक्ति सिद्ध करने के लिए धीरेंद्र महाराज को 30 लाख रुपये के इनाम की चुनौती दी। इसके बाद धीरेंद्र महाराज ने नागपुर में इस चुनौती को स्वीकार नहीं किया बल्कि अपने दरबार में चुनौती स्वीकार की। अब इस पर श्याम मानव ने प्रतिक्रिया दी है| साथ ही, चूंकि महाराज के पास जानकारी प्राप्त करने की व्यवस्था है, इसलिए उन्होंने इसे अपने न्यायालय में चुनौती नहीं दी।
श्याम मानव ने कहा, ‘9 जनवरी को हमने प्रेस कांफ्रेंस कर धीरेंद्र महाराज के दावों को ईश्वरीय दरबार में चुनौती दी| इन महाराज का दावा है कि वे भक्त के नाम को स्वत: ही पहचान लेते हैं, भक्त के पिता के नाम को स्वतः ही पहचान लेते हैं। इतना ही नहीं, उनकी उम्र और मोबाइल नंबर भी बताएं।
इसके अलावा धीरेंद्र महाराज यह भी बताने का दावा करते हैं कि किसी भी भक्त के घर में कौन-सी वस्तु किस कमरे में, किस अलमारी में रखी जाती है। इस दावे के पहले भाग को टेलीपैथी और इंट्यूशन कहा जाता है। साथ ही घर के अंदर कुछ भी देखने की क्षमता को अंतर्ज्ञान या परोक्ष दृष्टि कहा जाता है। श्याम मानव ने बताया, “मैंने किसी दैवीय शक्ति को चुनौती नहीं दी है, बल्कि मैंने महाराजा की दिव्य शक्ति को चुनौती दी है।
धीरेंद्र महाराज के दावों को अखिल भारतीय अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने वैज्ञानिक कसौटी पर ठीक से चुनौती दी है| हमने प्रेस कांफ्रेंस कर लिखित रूप में यह चुनौती दी है। इस चुनौती की शर्तें बहुत महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि इन दावों को बनाने के लिए सूचना संग्रह तंत्र का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार हमने बाबा के कई दावों को खारिज कर दिया है।
श्याम मानव ने कहा कि “यह चुनौती प्रक्रिया वैज्ञानिक मानदंडों पर आयोजित की जानी है, इस बात का ध्यान रखते हुए कि सूचना किसी भी तंत्र के माध्यम से दावेदारों तक न पहुँचे। उसके लिए हमने साफ कह दिया है कि यह चुनौती प्रक्रिया महाराजा के दरबार में नहीं होगी| यह प्रक्रिया नागपुर में सभी पत्रकारों के सामने की जाएगी| इसके लिए एक तटस्थ पंच समिति नियुक्त की जाएगी |”
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