पाठ्यपुस्तकों में सिख और मराठा नायकों को मिलेगा उचित सम्मान !

राज्यसभा सदस्य विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली शिक्षा पर बनी संसदीय समिति ने की सिफारिश

पाठ्यपुस्तकों में सिख और मराठा नायकों को मिलेगा उचित सम्मान !

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राज्यसभा सदस्य विनय सहस्रबुद्धे की अध्यक्षता वाली शिक्षा पर बनी एक संसदीय समिति ने पाठ्यपुस्तकों में सिखों और मराठा नायकों को उचित सम्मान देने की सिफारिश की है।सिफारिश में कहा गया कि सिख और मराठा नायकों का पुस्तकों में ठीक तरह से चित्रण किया जाए। सिफारिश में कहा गया है कि कई महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों को इतिहास में उचित सम्मान नहीं मिला है। पाठ्यपुस्तकों में ठीक तरह से गलत चित्रण किया गया है। इस रिपोर्ट को मंगलवार को संसद में पेश किया गया।

 संसदीय समिति ने ”स्कूल की पाठ्य पुस्तकों की सामग्री और डिजाइन में सुधार” विषय पर दी अपनी रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट में कहा है कि पाठ्यक्रमों में सिख और मराठा नायकों के इतिहास के साथ ही पुस्तकों में लिंग-समावेशी बनाने पर भी जोर दिया जाए।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पाठ्यपुस्तकों में सभी समयों का उल्लेख  किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आजादी की लड़ाई में शामिल कई नायकों और स्वतंत्रता सेनानियों की छवि आपराधिक के रूप में चित्रित किया गया है।  जिसमे समिति ने सुधार की मांग की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें पाठ्यपुस्तकों में उचित सम्मान दिया जाना चाहिए।
समिति ने स्कूली पाठ्य पुस्तकों में  चोल , विक्रमादित्य , चालुक्य , विजयनगर, गोंडवाना, और अहोम जैसे महान भारतीय साम्राज्यों को इतिहास में उचित जगह नहीं मिली है। आगे कहा गया है कि नई पाठ्यपुस्तक तैयार करते समय इन महापुरुषों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और न की इनके योगदान को नकारा जा सकता है।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी रेखांकित की है कि अंग्रेजो ने विज्ञान, दर्शनशास्त्र, गणित, अध्यात्म आदि विषयों  में भारतीय योगदान को कमतर आंका गया है। रिपोर्ट में कहा गया है एनसीईआरटी की पुस्तकों में भारत की महान महिला नेत्रियों की भूमिका को रेखांकित कर रही है। जो एक अच्छी पहल है।

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