विरोधियों की नब्ज पहचानने में माहिर हैं शाह 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 58वां जन्मदिन पर विशेष

विरोधियों की नब्ज पहचानने में माहिर हैं शाह 

नई दिल्ली। राजनीति के ‘चाणक्य’ के नाम से मशहूर अमित शाह का आज जन्मदिन है। अमित शाह यूं ही नहीं  ‘चाणक्य’ एक आकड़ों के ‘बाजीगर’ बन गए। अपने धुर विरोधियों की नब्ज पहचाने में माहिर अमित शाह जमीन से हमेशा जुड़े रहे हैं। अगर देखा जाय तो अभी तक के ‘राजनीति चक्रव्यूह’ में उन्होंने लास्ट व्यक्ति को हमेशा महत्त्व दिए हैं। चुनावी ‘विसात’ में अमित शाह ने आम जनता तक पहुँचाने के लिए हमेशा एक नई रणनीति के साथ आते हैं जिसकी काट किसी के पास नहीं होती है।

1990 के दौर में जब गुजरात में राजनीतिक उथल-पुथल मची थी और राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस के सामने बीजेपी एकमात्र बड़ी विपक्षी पार्टी थी, तब अमित शाह ने गुजरात बीजेपी के तत्कालीन संगठन सचिव नरेंद्र मोदी के निर्देशन में पार्टी के प्राथमिक सदस्यों का न केवल आंकड़ा जुटाया था बल्कि उसका दस्तावेजीकरण भी किया था। यह बीजेपी के लिए एक चुनावी ताकत बनकर उभरा था। इससे बीजेपी गुजरात के ग्रामीण स्तर तक फैल गई और 1995 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी सत्ता में आ गई। इसके बाद से बीजेपी ने गुजरात में फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालांकि, 1995 में बनी बीजेपी की सरकार 1997 में गिर गई लेकिन बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोश जाग चुका था। इस दौरान अमित शाह ने गुजरात प्रदेश वित्त निगम के अध्यक्ष के तौर पर दूसरा बड़ा करिश्मा कर डाला था। उन्होंने निगम को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड करवा डाला।


इसके बाद उन्होंने गुजरात में सहकारी आंदोलन पर कांग्रेस की पकड़ कुंद कर डाली और आंकड़ों की कालाबाजारी से सहकारी बैंकों, डेयरियों और कृषि मंडियों तक पैठ बना वहां के चुनाव जीतने शुरू कर दिए। 22 अक्टूबर, 1964 को मुंबई में जन्मे अमित शाह की पॉलिटिकल एंट्री 19 साल के तेज तर्रार नवयुवक के तौर पर 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में हुई। करीब ढाई साल बाद ही उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर लिया और अगले ही साल बीजेपी युवा मोर्चा के सदस्य बन गए। पार्टी ने उन्हें सबसे पहला प्रोजेक्ट अहमदाबाद नगर निगम चुनाव में नारणपुरा वार्ड की जिम्मेदारी दी, जहां उन्होंने जीत दिलाई।
इसके बाद वह युवा मोर्चा के कोषाध्यक्ष फिर राज्य सचिव बनाए गए। 1989 के लोकसभा चुनावों में उन्हें गांधीनगर सीट पर लालकृष्ण आडवाणी के चुनाव प्रबंधन का काम सौंपा गया। इसके बाद लगातार 2009 तक अमित शाह आडवाणी के लिए गांधीनगर में चुनाव प्रबंधन करते रहे। जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गांधीनगर से चुनाव लड़ा था, तब भी अमित शाह ने ही चुनाव प्रबंधन का काम संभाला था। अपने ड्राइंग रूम में चाणक्य और सावरकर की तस्वीर लगाने वाले अमित शाह विशुद्ध शाकाहारी हैं। उन्होंने पहला चुनाव 1997 में लड़ा। उन्होंने सरखेज विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में 25,000 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इसके अगले ही साल यानी 1998 के चुनावों में उन्होंने इसी सीट से 1.30 लाख वोटों को अंतर से बड़ी जीत दर्ज की थी। इसके बाद उन्होंने इसी सीट से 2002 और 2007 का भी चुनाव जीता। साल 2012 में उन्होंने नरनपुरा से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।

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