सुप्रीम कोर्ट की किसानों को नसीहत, जब मामला कोर्ट में है तो आंदोलन क्यों?

सुप्रीम कोर्ट की किसानों को नसीहत, जब मामला कोर्ट में है तो आंदोलन क्यों?

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नई दिल्ली। दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी नसीहत दी है। कोर्ट ने कहा कि जब कृषि कानून की वैधता पर अदालत में याचिका लंबित है तो आंदोलन और हाइवे जाम करने का क्या मतलब है। कोर्ट ने हाइवे और रेल रोकने पर नाराजगी जताई। बता दें कि किसान पंचायत नामक एक संगठन के वकील ने जंतर-मंतर पर सत्याग्रह के लिए अनुमति की मांग की थी। जिस पर कोर्ट ने यह बात कही।

संगठन की ओर से पेश वकील अजय चौधरी ने तर्क दिया कि दिल्ली पुलिस ने संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े 200 लोगों को दिल्ली में आंदोलन की अनुमति दी है। लेकिन इस तरह की परमिशन किसान महापंचायत को नहीं जा रही। इस पर अदालत ने कहा कि आपने पूरे शहर को बंधक बना रखा है और अब आप अंदर आना चाहते हैं। जजों ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर के इलाके में जिस तरह से प्रदर्शन किए जा रहे हैं, उसे प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा, ‘आप पूरी आजादी और बिना किसी भय के आंदोलन कर रहे हैं। ट्रेनें रोक रहे हैं और हाईवे जाम कर रहे हैं। फिर भी आप कहते हैं कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण है।
यह रुकना चाहिए।’ अदालत ने कहा कि आप सुरक्षाकर्मियों से भिड़ रहे हैं और कारोबारियों को काम पर जाने से रोक रहे हैं। क्या आपको लगता है कि इस तरीके से लोग खुश होंगे। इस पर चौधरी ने कहा कि किसान महापंचायत उनसे अलग है, जो दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन के पक्ष में हैं। हम चाहते हैं कि हाईवेज को जाम किए बिना सत्याग्रह किया जाए। इस पर अदालत ने कहा कि आपको एफिडेविट देना होगा कि आप उन  किसानों से अलग हैं, जिन्होंने हाईवेज को जाम कर रखा है।
अदालत ने इसके लिए किसान महापंचायत को सोमवार तक का वक्त दिया है। बता दें कि किसान केंद्र सरकार द्वारा लाये गए तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए यह आंदोलन कर रहे हैं। दो दिन पहले ही किसानों ने भारत बंद  बुलाया था।

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