सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में सेक्स वर्क को बतौर प्रोफेशन स्वीकार किया है। कोर्ट ने कहा कि इस पेशे में शामिल लोगों को सम्मानपूर्वक जीने का अधिकार है, उन्हें कानून के तहत समान सुरक्षा का अधिकार है। साथ ही कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि उसे ना तो इस पेशे में शामिल लोगों के जीवन में हस्तक्षेप करना चाहिए और ना ही उनके खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई करनी चाहिए|
गौरतलब है कि कोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि सेक्स वर्कर्स वयस्क हैं और सहमति से यौन संबंध बना रहे हैं तो पुलिस को उनसे दूर रहना चाहिए, उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने यह फैसला दिया है। बेंच के अध्यक्ष जस्टिस एल नागेश्वर राव हैं। कोर्ट ने यह आदेश आर्टिकल 142 के तहत विशेष अधिकारों के तहत दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि जब भी कहीं पुलिस छापा मारे तो सेक्स वर्कर्स को ना तो गिरफ्तार किया जाना चाहिए, ना उन्हें सजा देनी चाहिए और उन्हें प्रताड़ित किया जाना चाहिए। चूंकि स्वयं से और सहमति से यौन संबंध गैर कानूनी नहीं है, सिर्फ वेश्यालय चलाना अपराध है।
कोर्ट ने कहा कि मीडिया को सेक्स वर्कर की पहचान सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए| कोर्ट ने इसके साथ ही स्पष्ट तौर पर पुलिस को निर्देश दिया है कि अगर सेक्स वर्कर कंडोम का इस्तेमाल करती हैं तो इसे बतौर सबूत के तौर पर कतई इस्तेमाल नहीं करें। कोर्ट के इस फैसले को बड़ा फैसला माना जा रहा है। माना जा रहा है कि कोर्ट के इस फैसले से आने वाले समय में वेश्वावृत्ति से जुड़े लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है|
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