सिडनी के स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़, गेट पर लगाया खालिस्तानी झंडा

खालिस्तान समर्थकों ने मंदीर की दीवार तोड़ी।

सिडनी के स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़, गेट पर लगाया खालिस्तानी झंडा

ऑस्ट्रेलिया में एक बार फिर मंदिरों में तोड़फोड़ की गई। शुक्रवार की सुबह बाप्स स्वामीनारायण मंदिर पर खालिस्तान समर्थकों ने हमला किया और तोड़फोड़ की। वहीं जब मंदिर प्रबंधन शुक्रवार को पूजा करने के लिए पहुंचा तो देखा की मंदिर की दीवार टूटी थी। वहीं गेट पर खलिस्तान का झंडा भी लटका हुआ था। ऑस्ट्रेलिया मीडिया के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में पश्चिमी सिडनी के रोजहिल उपनगर के बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में खालिस्तान समर्थकों ने तोड़फोड़ की है।

सूचना के बाद एनएसडब्ल्यू पुलिस के अधिकारी मंदिर पहुंचे और जांच पड़ताल में जुट गए। मंदिर प्रबंधन की ओर से मामले की जांच के लिए पुलिस को सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराए गए हैं। बता दें कि इस साल की शुरुआत में मेलबर्न में तीन मंदिरों और ब्रिस्बेन में दो मंदिरों में खालिस्तान समर्थकों ने निशाना बनाया था।

हालांकि यह पहली बार नहीं है जब ऑस्ट्रेलिया में मंदिरों को निशाना बनाया जा रहा है। इस साल जनवरी में भी मेलबर्न में बाप्स स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़ की घटना सामने आई थी। 12 जनवरी की सुबह मेलबर्न के उत्तरी उपनगर मिल पार्क में बाप्स स्वामीनारायण मंदिर पर खालिस्तान समर्थकों ने तोड़फोड़ की थी। साथ ही मंदिर की दीवारों पर लिखे नारे में खालिस्तान समर्थकों ने आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरांवाले को ‘शहीद’ बताया और उसकी प्रशंसा भी की थी। वहीं, बाप्स ने हमले की निंदा की थी। बाप्स ने कहा था कि हम बर्बरता और घृणा के इन कृत्यों से दुखी और स्तब्ध हैं। हम शांति और सद्भाव के लिए अपनी प्रार्थना करते हैं और जल्द ही घटना को लेकर विस्तार से जानकारी देंगे।

बता दें कि 24 मई को QUAD शिखर सम्मेलन के लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिडनी जाने वाले हैं। जब अल्बनीज भारत यात्रा पर आए थे तब पीएम मोदी ने हिंदू मंदिर हमले का मुद्दा उठाया था। इस दौरान प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी को कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया। प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस ने नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि ऑस्ट्रेलिया मंदिरों के खिलाफ होने वाली किसी भी कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा था कि हम एक सहिष्णु बहुसांस्कृतिक राष्ट्र हैं और इस गतिविधि के लिए ऑस्ट्रेलिया में कोई जगह नहीं है।

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