ताजिकिस्तान के खाटलोन प्रांत में चीन-सम्बद्ध एक सोने की खान पर हुए घातक ड्रोन हमले ने मध्य एशिया में कूटनीतिक तनाव को और भी तेज कर दिया है। बुधवार (26 नवंबर) को हुए इस हमले में तीन चीनी नागरिकों की मौत हो गई, जबकि एक गंभीर रूप से घायल हुआ। हमलावर ड्रोन ने ग्रेनेड और हथियार गिराए, जिससे खान परिसर में जोरदार विस्फोट हुआ। घटना के बाद ताजिकिस्तान ने हमलावरों को पड़ोसी देश में स्थित आपराधिक समूह बताया, जो क्षेत्र को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि उसने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन बयान ने क्षेत्रीय सुरक्षा हलकों को साफ संकेत दिया।
अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार ने भी इस हमले की निंदा की, लेकिन जिम्मेदारी से दूरी बनाते हुए कहा कि हमला एक ऐसे घेरे द्वारा किया गया है, जो अराजकता, अस्थिरता और क्षेत्रीय अविश्वास पैदा करना चाहता है। तालिबान प्रवक्ता हाफ़िज़ ज़िया अहमद ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान ताजिकिस्तान को जांच में पूर्ण सहयोग देगा।
अफ़ग़ानिस्तान ने हाल के महीनों में पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि उसने अमेरिकी ड्रोन हमलों को अपनी ज़मीन से संचालित होने की अनुमति दी, और इस्लामिक स्टेट (ISKP) के आतंकी ठिकानों को भी पनाह दी। तालिबान और पाकिस्तान के रिश्ते पिछले दो वर्षों में सबसे निचले स्तर पर हैं। जहां ताजिकिस्तान ने संकेतों में बात की और तालिबान ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा, वहीं पाकिस्तान ने तुरंत तालिबान पर आरोप ठोक दिया। इस्लामाबाद ने हमले को चीनियों पर कायराना हमला बताते हुए कहा कि यह खतरा अफगानिस्तान से हुआ है।
पाकिस्तान ने दावा किया कि अफ़गान धरती का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए किसी भी देश के खिलाफ नहीं होना चाहिए और ड्रोन के इस्तेमाल को आतंकियों की क्षमता में खतरनाक वृद्धि बताया।
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान इस घटना का इस्तेमाल अपने आतंक पीड़ित देश के नैरेटिव को मजबूत करने के लिए कर रहा है।
खुद ताजिकिस्तान ने किसी समूह का नाम नहीं लिया, लेकिन यह साफ़ है कि वह हमलावरों की उत्पत्ति अफग़ान सीमा के उस पार मानता है, जहाँ ISKP, ताजिक मिलिटेंट्स और अन्य कट्टरपंथी गुट सक्रिय हैं। UN और क्षेत्रीय रिपोर्टें कहती हैं कि खाटलोन प्रांत, अफ़ग़ानिस्तान के बदख़्शान के सामने, लंबे समय से चरमपंथियों का गढ़ माना जाता है। तालिबान का नियंत्रण भी यहां सीमित है।
भारतीय और अफ़ग़ान सुरक्षा विशेषज्ञों ने पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह दुनिया को बताने की कोशिश कर रहा है कि आतंकवाद केवल अफ़ग़ानिस्तान से आता है, जबकि वास्तविकता में कई चरमपंथी गुटों को इस्लामाबाद-रावलपिंडी तंत्र से वर्षों तक समर्थन मिला है।
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