पाकिस्तानी लेखक-पत्रकार तारिख फतेह का आज निधन हो गया। वह पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे। वह 73 वर्ष के थे। तारिक फतेह की बेटी नताशा फतेह ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। वह इस्लाम से जुड़े मुद्दों पर आक्रामक रूप से खड़े रहते थे।
तारिक फतेह कई भाषाओं के जानकार थे। उनकी हिंदी, इंग्लिश, उर्दू, पंजाबी और अरबी जैसी भाषाओं पर समान पकड़ थी। तारिक फतेह को ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट के तौर पर भी जाना जाता था।अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जाने जाते थे। वह पाकिस्तान से ज्यादा अपनी पहचान भारत से ही जोड़ते थे। उन्होंने यहूदी मेरे दुश्मन नहीं हैं शीर्षक से एक पुस्तक भी लिखी थी। यही नहीं पाकिस्तान में बलूचों के आंदोलन के भी वह समर्थक थे और पाकिस्तान की बर्बरता के तीखे आलोचक के तौर पर जाने जाते थे।
बता दें कि तारिक फतेह खुद को हिंदुस्तानी ही कहते थे और पाकिस्तान को भी भारतीय संस्कृति का ही हिस्सा मानते थे। भारत विभाजन को गलत बताते हुए वह दोनों देशों की एक ही संस्कृति की बात करते थे। धार्मिक कट्टरता के खिलाफ रहे तारिक फतेह भारतीय संस्कृति के मुरीद थे और उसे ही भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश को एक साथ जोड़ने का सूत्र मानते थे।
गौरतलब है कि कराची में जन्मे तारिक फतेह ने 1987 में कनाडा का रुख कर लिया था और फिर वहीं बस गए थे। रिपोर्टर के तौर पर करियर की शुरुआत करने वाले तारिक फतेह स्तंभकार रहे। इसके अलावा रेडियो और टीवी पर भी वह कॉमेंट्री करते रहे थे। उनकी सोशल मीडिया पर भी अच्छी खासी फॉलोइंग थी।
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