आतंकवाद का समर्थन करना लगभग कुछ देशों की विदेश नीति है। साथ ही, कुछ देश आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने से बचते हुए अप्रत्यक्ष रूप से इस नीति को लागू करते हैं। राजनीतिक, वैचारिक और आर्थिक रूप से आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों से कीमत वसूलने की जरूरत है। ऐसा ही कड़ा बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को यहां दिया। यहां तीसरे ‘मनी फॉर टेरर मिनिस्ट्रियल कॉन्फ्रेंस’ का आयोजन किया गया है और इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने पाकिस्तान और चीन का जिक्र किया|
आतंकवादियों के लिए सहानुभूति पैदा करने की कोशिश करने वाले व्यक्तियों और संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। दुनिया को उन सभी तत्वों के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद का समर्थन करते हैं। मोदी ने कहा कि इस मामले में ”परंतु” नहीं होना चाहिए।
तर्राष्ट्रीय संगठनों को यह नहीं मान लेना चाहिए कि यदि कोई देश युद्ध में नहीं है तो वह शांति में है। गुप्त युद्ध उतने ही घातक और हिंसक होते हैं। इसलिए आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों से इसकी भारी कीमत चुकाने की जरूरत है। मोदी ने ऐसा स्पष्ट बयान दिया। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि किसी भी संप्रभु देश को अपने तरीके से आतंकवाद को खत्म करने का अधिकार है और चरमपंथियों को व्यवस्था में मतभेदों का दुरुपयोग करने से रोका जाना चाहिए।
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