भारत में 1 मई से कोरोना वैक्सीनेशन का तीसरा चरण शुरू हुआ है। इसमें 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगा। कोरोना वायरस वैक्सीनेशन के तीसरे फेज में यह साफ है कि 18 साल के अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन हर राज्य में मुफ्त नहीं लगाई जाएगी। कुछ राज्यों ने अपने लोगों के लिए इसे फ्री किया है। यानि पूरे देश में वैक्सीनेशन फ्री नहीं होगा। उसके लिए कीमत चुकानी होगी।
कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ भारत की कोशिशों के तहत फिलहाल दो कोरोना वैक्सीन देश में आम लोगों के लिए उपलब्ध हैं। इस दोनों वैक्सीन को भारत में अब तक साढ़े 15 करोड़ से अधिक लोगों को लगाया जा चुका है। इनमें स्वास्थ्यकर्मी, फ्रंटलाइन वर्कर्स, 60 साल से अधिक उम्र के लोग और 45 साल से अधिक उम्र के लोग शामिल हैं।एक मई से अब ये दोनों वैक्सीन 18 साल से ऊपर के लोगों को भी लगाई जाएंगी।
- कोविशील्ड
पहली वैक्सीन का नाम है- कोविशील्डजो कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रेजेनिका की है, जिसकी भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) प्रोडक्शन कर रही है। कोविशील्ड बना रही सीरम इंस्टीट्यूट ने वैक्सीन की कीमतें राज्य सरकार के लिए कम कर दी हैं। अब राज्यों को वैक्सीन की एक डोज 300 रुपए में दी जाएगी। यूपी, बिहार समेत कुछ राज्यों ने 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए फ्री में वैक्सीन देने को कहा है। सीआइआइ ने भारत में अपनी वैक्सीन कोविशील्ड की कीमत केंद्र सरकार के लिए 150 रुपये, राज्यों के लिए 300 रुपये और खुले बाजार(निर्यात) के लिए 600 रुपये प्रति डोज तय की है।
- कोवैक्सीन
दूसरी वैक्सीन का नाम है- कोवैक्सीन जो कि पूरी तरह भारत में डेवलप की गई है। इस स्वदेशी वैक्सीन को हैदराबाद की भारत बायोटेक लिमिटेड ने डेवलप किया है। भारत बायोटेक ने बताया कि उसकी कोवैक्सीन की कीमत राज्यों के लिए 600 रुपये, निजी क्षेत्र के लिए 1,200 रुपये और खुले बाजार(निर्यात) के लिए 15 से 20 डालर प्रति डोज होगी। कोवैक्सीन भी केंद्र सरकार के लिए 150 रुपये प्रति डोज की दर से उपलब्ध होगी। यूपी, बिहार समेत कुछ राज्यों ने 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए फ्री में वैक्सीन देने को कहा है।
- स्पुतनिक वी
सीरम की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के बाद केंद्र सरकार ने रूस की स्पुतनिक वी भी जरूरी मंजूरी दे दी है। रूस से इस वैक्सीन की पहली खेप एक मई को भारत पहुंचेगी। माना जा रहा है कि आरडीईएफ मई में दो से तीन करोड़ डोज की सप्लाई कर सकता है। रूस से आयातित होने वाली स्पुतनिक-वी वैक्सीन की सारी डोज राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र को मिल सकती है। इसमें 50 फीसद वैक्सीन केंद्र सरकार को देने की शर्त नहीं होगी, जैसी देश में बनने वाली कोविशील्ड और कोवैक्सीन के लिए है।
स्पुतनिक V के बारे में कहा गया है कि इसकी भी दो डोज लेनी होगी। पहली खुराक की संरचना दूसरी खुराक से अलग होगी. पहली खुराक और दूसरी के बीच कम से कम तीन से चार सप्ताह का अंतर होना चाहिए। आंकड़ों के मुताबिक, यह रूसी वैक्सीन 91 फीसदी असरदार है। भारत में स्फूतनिक की बिक्री डॉ. रेड्डीज लेबोरेट्रीज करेगी।
विदेशी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) की वैक्सीन भी भारत में जल्द आ सकती है। जेएंडजे ने 20 अप्रैल को बताया कि उसने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के पास सिंगल डोज कोविड19 वैक्सीन के ब्रिजिंग क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी मांगी है। भारत को इस वर्ष सितंबर तक कुछ और विदेश में बनी वैक्सीन मिलने की उम्मीद है।