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अलास्का शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिका और रूस ने दिखाई अपनी ताक़त !

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15 अगस्त को अलास्का में हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन के शिखर सम्मेलन से पहले और उसके दौरान दोनों देशों ने अपनी सैन्य और राजनीतिक ताक़त का खुला प्रदर्शन किया। बातचीत के अलावा इस मंच को सैन्य तैयारियों के प्रदर्शन का अड्डा भी बनाया गया, दोनों देशों ने दिखाने की कोशिश थी कि कौन कितना मज़बूत है।

रूस और उसके सहयोगी बेलारूस ने ‘ज़ापाद-2025’ नामक बड़े सैन्य अभ्यास की घोषणा की, जो 12 से 16 सितंबर तक होगा। इसमें परमाणु हथियारों के उपयोग के लाइव ड्रिल और नए “ओरेश्निक” हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण होना है। दौरान बेलारूस के रक्षा मंत्री विक्टर ख्रेनीन ने इस बारे में चेताया, “हमें हमेशा बारूद सूखा रखना चाहिए,” साथ ही इस सैन्य अभ्यास को नाटो की गतिविधियों का जवाब बताया।

इसी दौरान रूस ने आर्कटिक क्षेत्र नोवाया ज़ेमल्या में अपनी परमाणु-संचालित बुरेवेस्निक क्रूज़ मिसाइल के परीक्षण की योजना बनाई। साथ ही, क्रेमलिन ने मध्यम दूरी की परमाणु मिसाइलों पर लगाई गई अपनी स्वैच्छिक रोक भी समाप्त कर दी, जो पश्चिमी मिसाइल रक्षा प्रणाली के जवाब में था।

राजनीतिक रूप से भी रूस ने कठोर रुख़ अपनाया। पुतिन ने कहा कि किसी भी समझौते में रूस की वैध सुरक्षा चिंताओं को शामिल करना होगा और यह तभी संभव है जब यूरोप में न्यायपूर्ण संतुलन बहाल किया जाए। रूसी विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया कि वह कोई क्षेत्रीय रियायत नहीं देगा और पहले यूक्रेन को कब्ज़े वाले इलाकों से पीछे हटना होगा।

पुतिन ने साथ ही नए परमाणु हथियार समझौते की पेशकश कर अमेरिका को याद दिलाया कि रूस के पास विशाल परमाणु शस्त्रागार है। इसी अवधि में उन्होंने उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन से फ़ोन पर बातचीत कर रूस के लिए उनके सैनिकों के योगदान को वीरता बताया।

दूसरी ओर, अमेरिका ने अलास्का में ताक़तवर सैन्य प्रदर्शन किया। जैसे ही दोनों राष्ट्रपति अलास्का के जॉइंट बेस एलमेंडॉर्फ-रिचर्डसन पर मिले, उसी समय आसमान में एक B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर चार F-35 जेट्स के साथ उड़ा, जबकि ज़मीन पर चार F-22 रैप्टर तैनात किए गए थे। यह प्रदर्शन अमेरिका की उन्नत वायु क्षमता को दिखाने के लिए खास तौर पर आयोजित किया गया था।

शिखर सम्मेलन से कुछ दिन पहले ही अमेरिकी लड़ाकू विमानों ने अलास्का के पास रूसी Tu-95 बेयर बॉम्बर और Su-35 फाइटरों को रोका और उन्हें हवाई रक्षा क्षेत्र से बाहर एस्कॉर्ट किया। इससे अमेरिका ने संकेत दिया कि वह आर्कटिक क्षेत्र में पूरी तरह सतर्क है।

राजनीतिक संदेशों में भी अमेरिका ने मज़बूती दिखाई। ट्रंप ने कहा, “हमने कुछ प्रगति की है, लेकिन जब तक समझौता नहीं होता, तब तक कोई डील नहीं है।” उन्होंने तत्काल युद्धविराम की मांग की और चेतावनी दी कि अगर रूस ने इसे स्वीकार नहीं किया तो बहुत गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

हालांकि ट्रंप ने रूस की ताक़त को स्वीकार करते हुए कहा कि यह बहुत बड़ी शक्ति है जिसके महान सैनिक हैं, लेकिन उन्होंने यह भी साफ किया कि किसी भी समझौते में यूक्रेन की सहमति ज़रूरी होगी। इसी कारण उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को वॉशिंगटन आमंत्रित किया और कहा कि यूक्रेन को भी डील करनी होगी।

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