तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंपों में अब तक 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कई नागरिक इमारतों के मलबे के नीचे दबे हुए हैं। उन्हें निकालने के लिए बड़े पैमाने पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। भारत भूकंप प्रभावित तुर्की और सीरिया को भी विशेष सहायता प्रदान कर रहा है। इन दोनों देशों में 40 हजार से ज्यादा नागरिक घायल हुए हैं। दोनों देशों को आर्थिक और मानवीय नुकसान हुआ है। वहीं, इस शक्तिशाली भूकंप के बाद तुर्की के 10 फीट खिसकने का दावा किया जा रहा है।
इटली के भूविज्ञानी डॉ. कार्लो डोग्लियोनी ने इस बात की जानकारी दी है। तुर्की की टेक्टॉनिक प्लेट्स सीरिया से पांच से छह मीटर आगे बढ़ सकती हैं। तुर्की वास्तव में मुख्य फॉल्ट लाइन पर स्थित है। एनाटोलियन प्लेट, अरेबियन प्लेट, यूरेशियन प्लेट आपस में जुड़ी हुई हैं। इसलिए तुर्की में भूकंप का सबसे ज्यादा खतरा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक एनाटोलियन प्लेट और अरेबियन प्लेट के बीच 225 किमी की फॉल्ट लाइन टूट गई है।
तुर्की में भूकंप की तीव्रता इतनी अधिक थी कि टेक्टोनिक प्लेट्स हिल गईं। टेक्टोनिक प्लेट्स इसी तरह हिलती रहीं तो डर है कि धरती पर बड़ा विस्फोट हो सकता है। इस बीच, डरहम यूनिवर्सिटी में स्ट्रक्चरल जियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. बॉब होल्डवर्थ ने कहा कि भूकंप की भयावहता को देखते हुए टेक्टोनिक प्लेटों का शिफ्ट होना स्वाभाविक था। भूकंप की तीव्रता और टेक्टोनिक प्लेटों की गति के बीच सीधा संबंध है। हालाँकि, इसमें कुछ भी अजीब नहीं है। क्योंकि जब 6.5 से 6.9 रिक्टर स्केल का भूकंप आता है तो जमीन एक मीटर ऊपर खिसक जाती है। इससे ज्यादा तीव्रता के भूकंप जमीन में ज्यादा कंपन पैदा करते हैं।
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