ऑल इंडियन ट्रेड यूनियन कांग्रेस की महासचिव अमरजीत कौर ने कहा, “हम सरकार की नीतियों के विरोध में 28 और 29 मार्च की हड़ताल के दौरान देश भर के श्रमिकों की सामूहिक लामबंदी के साथ 20 करोड़ से अधिक औपचारिक और अनौपचारिक श्रमिकों की भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि हड़ताल के ग्रामीण इलाकों में भी असर पड़ने की उम्मीद है, जहां खेती और अन्य क्षेत्रों के अनौपचारिक श्रमिक विरोध में शामिल होंगे।
हड़ताल के लिए कोयला, इस्पात, तेल, दूरसंचार, डाक, आयकर, तांबा, बैंक और बीमा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के श्रमिक संघों द्वारा नोटिस जारी किए गए थे। संयुक्त मंच ने कहा कि रेलवे और रक्षा क्षेत्र की यूनियनें कई जगहों पर हड़ताल के समर्थन में सामूहिक लामबंद हुई हैं।
यूनियनों की मांगों में श्रम कानूनों में प्रस्तावित परिवर्तनों, किसी भी रूप के निजीकरण और राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन को रद्द करना शामिल है। मनरेगा (महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत मजदूरी का आवंटन बढ़ाना और ठेका श्रमिकों का नियमितीकरण भी उनकी मांगों का हिस्सा है।
संयुक्त मंच ने एक बयान में कहा कि एसेंशियल सर्विसेज मेंटेनेंस एक्ट के आसन्न खतरे के बावजूद (जिसके हरियाणा और चंडीगढ़ में लगाए जाने की संभावना है) रोडवेज, परिवहन और बिजली विभागों के कर्मचारियों ने भी हड़ताल में शामिल होने का फैसला किया है।
इस बीच, बिजली मंत्रालय ने रविवार को सभी सरकारी यूटिलिटीज और अन्य एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रहने और चौबीसों घंटे बिजली आपूर्ति तथा राष्ट्रीय ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित करने की सलाह दी।
बैंक कर्मचारी संघों ने कहा कि वे हड़ताल का समर्थन करेंगे। ऐसे में देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई समेत कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कहा है कि हड़ताल के कारण उनकी सेवाएं सीमित सीमा तक प्रभावित हो सकती हैं।
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