बांग्लादेश में बढ़ती अराजकता और राजनीतिक अस्थिरता के बीच ब्रिटेन की संसद में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसमें देश में ‘स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव’ कराए जाने की मांग की गई है। इस प्रस्ताव में खास तौर पर यह जोर दिया गया है कि बांग्लादेश में सभी राजनीतिक दलों को चुनाव में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
यह प्रस्ताव 16 दिसंबर को ब्रिटिश संसद में तीन सांसद कंज़र्वेटिव पार्टी के बॉब ब्लैकमैन, लिबरल डेमोक्रेट के एंड्रयू जॉर्ज, और डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी (DUP) के जिम शैनन द्वारा पेश किया गया। फिलहाल इस प्रस्ताव पर किसी अन्य सांसद की ओर से कोई संशोधन नहीं दिया गया है।
प्रस्ताव के पाठ में कहा गया, “यह सदन बांग्लादेश में हालिया हिंसा की निंदा करता है और सरकार से आग्रह करता है कि वह स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव सुनिश्चित करे, जिनमें सभी राजनीतिक दलों को प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी जानी चाहिए; साथ ही यह भी नोट करता है कि दोषी पाए जाने वालों पर निष्पक्ष सुनवाई के तहत मुकदमा चलाया जाए और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।”
ब्रिटिश सांसदों की यह मांग ऐसे समय सामने आई है, जब बांग्लादेश की पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग को चुनावों में हिस्सा लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया है। अवामी लीग को पिछले साल जुलाई में हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद प्रतिबंधित किया गया था, जिनके चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार गिर गई थी।
यूके की संसद द्वारा लाए इस प्रस्ताव में चुनावी समावेशन पर जोर देने के साथ ही निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा को भी महत्व दिया गया है। उल्लेखनीय है कि पिछले महीने बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराते हुए मृत्युदंड सुनाया था। हालांकि शेख हसीना और उनके समर्थकों ने इस फैसले को खारिज करते हुए ICT को कंगारू कोर्ट कहा है। बांग्लादेश सरकार जहां भारत से उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रही है, वहीं हसीना का कहना है कि उनके मामले की सुनवाई अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) में होनी चाहिए।
शेख हसीना के सत्ता छोड़ने के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि देखि गई हैं। हाल ही में एक हिंदू युवक को झूठे ब्लासफेमी के आरोप में जिहादी भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार दिया गया, उसकी मौत के बाद उसके शव को पेड़ से लटका कर जलाया गया, जिसके इर्द-गिर्द जिहादी ‘अल्लाहु अक़बर’ के नारे लगाकर उत्सव कर रहे थे। जांच में हिंदू युवक द्वारा ईशनिंदा का कोई सबूत नहीं मिला है। इस घटना के बाद बांग्लादेश अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर, खासकर हिंदू, ख्रिस्ती, नास्तिक लोगों की सुरक्षा को गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।
इसके अलावा, युवा कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद से देश में अराजकता और बढ़ चुकी है।
दौरान ब्रिटिश संसद में पेश यह प्रस्ताव बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति, चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता को दर्शाता है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि इस प्रस्ताव पर ब्रिटेन सरकार और अन्य सांसदों की क्या प्रतिक्रिया सामने आती है।
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