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Wednesday, March 26, 2025
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UP: ‘सौरभ हत्याकांड’ मेरठ की जेल में बंद मुस्कान ने मांगा सरकारी वकील!

जेल अधीक्षक ने बताया कि मुस्कान ने शनिवार को उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की थी। मुलाकात के दौरान उसने अपनी परेशानी बताई और सरकारी वकील के बारे में बात की। 

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उत्तर प्रदेश के मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में बंद सौरभ हत्याकांड की आरोपी मुस्कान ने जेल अधीक्षक से गुहार लगाई है। उसने अपने केस को लड़ने के लिए सरकारी वकील की मांग की है। मुस्कान ने जेल अधीक्षक वीरेश राज शर्मा को लिखित प्रार्थना पत्र सौंपकर यह मांग की है। जेल अधीक्षक ने बताया कि मुस्कान ने शनिवार को उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की थी। मुलाकात के दौरान उसने अपनी परेशानी बताई और सरकारी वकील के बारे में बात की।

वीरेश राज शर्मा ने कहा कि बंदी का यह अधिकार है कि अगर उसके पास निजी वकील नहीं है, तो उसे सरकारी वकील दिया जाए। इसी के तहत मुस्कान का प्रार्थना पत्र कोर्ट में भेजा जा रहा है। वहीं, इस मामले में सह-आरोपी साहिल ने अभी सरकारी वकील लेने पर कोई फैसला नहीं लिया है। उसका कहना है कि वह पहले अपने परिवार वालों से बात करेगा। अगर वे उसका केस नहीं लड़ते, तभी वह आगे निर्णय लेगा।

जेल अधीक्षक ने बताया कि रविवार होने के कारण कोर्ट में अर्जी सोमवार को दी जाएगी। मुस्कान और साहिल दोनों नशे की लत से जूझ रहे हैं। चिकित्सा परीक्षण में यह बात सामने आई है कि दोनों नशे के आदी हैं। जेल प्रशासन ने इनकी स्थिति को देखते हुए इलाज शुरू कर दिया है। जेल अधीक्षक और डॉक्टरों की निगरानी में दोनों का उपचार चल रहा है। नशे से छुटकारा दिलाने के लिए दवाइयों के साथ-साथ काउंसलिंग भी की जा रही है। जेल में चल रहे नशा मुक्ति केंद्र के जरिए दोनों को योग, ध्यान और शारीरिक गतिविधियों में शामिल किया गया है।

वीरेश राज शर्मा ने बताया कि नशे के कारण होने वाले ‘विड्रॉल सिम्टम्स’ (नशा छोड़ते वक्त होने वाले शारीरिक और मानसिक बदलाव) को रोकने के लिए भी दवाएं दी जा रही हैं। केंद्र 10 से 15 दिनों में दोनों को नशे से मुक्त कराने की कोशिश में है।

जेल अधीक्षक ने यह भी कहा कि मेरठ जिला कारागार में कई बंदी नशे की समस्या के साथ आते हैं। समाज में नशे की बढ़ती समस्या को देखते हुए जेल में नशा मुक्ति केंद्र चलाया जाता है। यहां काउंसलिंग, योग और अन्य गतिविधियों के जरिए बंदियों को नशे से दूर करने की कोशिश की जाती है। मुस्कान और साहिल के मामले में भी यही प्रयास जारी है।

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