लखनऊ। अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ के बाद अब देवबंद का नाम बदले जाने की मांग ने एक बार फिर से जोर पकड़ लिया है। बजरंग दल के वेस्ट यूपी प्रांत संयोजक ने उत्तर प्रदेश सरकार के शहरी विकास मंत्री आशुतोष टन्डन से देवबंद का नाम देववृन्द किए जाने की मांग की है। बजरंग दल ने इस बाबत नगर विकास मंत्री को पत्र लिखा है।
इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारूल उलूम के कारण मशहूर देवबंद का नाम देववृन्द किये जाने की मांग ने राजनीति का पारा चढ़ा दिया है। बजरंग दल ने देवबंद का नाम देववृन्द किये जाने की मांग उठायी है। पहले भी समय-समय पर देवबंद का नाम देववृन्द किये जाने की मांग उठती रही है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने फैजाबाद और इलाहाबाद ज़िलों के नाम बदलकर क्रमशः अयोध्या और प्रयागराज कर दिये थे। इन दिनों चर्चा है कि योगी सरकार द्वारा अलीगढ़ का नाम भी बदलकर हरीगढ़ किए जाने की योजना तैयार है।
बजरंग दल ने उत्तर प्रदेश सरकार के नगर विकास मंत्री से देवबंद का नाम देववृन्द किए जाने की मांग की है। बजरंगदल के पश्चिमी यूपी के प्रांत संयोजक विकास त्यागी ने यूपी के नगर विकास मंत्री आशुतोष टन्डन से देवबंद का नाम देववृन्द करने की मांग की है। इस बाबत नगर विकास मंत्री को पत्र भी लिखा है। बजरंग दल के नेता विकास त्यागी का कहना है कि देवबंद की पहचान दारुल उलूम से नही है बल्कि माता बाला सुंदरी देवी मंदिर व महाभारत काल से है।
महाभारत काल मे पांडवों ने देवबंद इलाके में अज्ञातवास काटा था। दारुल उलूम सिर्फ 100 या 150 वर्ष पुराना है जो कि इतिहास में भी दर्ज है। यूपी सरकार जैसे अन्य मुगलकालीन नामों का नाम बदलकर महापुरषों के नाम पर कर रही है, वैसे ही देवबंद का नाम बदल कर जल्द ही देववृन्द किया जाना चाहिए। विकास त्यागी का कहना है कि इस सम्बंध में शासन को कई बार पत्र लिखा गया।
देवबंद का इतिहास
सहारनपुर और मुजफ्फरनगर जिले के बीचोबीच बसे देवबंद का इतिहास महाभारतकालीन बताया जाता है। खुद भाजपा विधायक भी दावा कर रहे हैं कि इस शहर में महाराभारत कालीन कई स्थान भी हैं जिनमें रणखंडी गांव, पांडु सरोवर और बाला सुंदरी शक्तिपीठ भी है। पांडु सरोवर के बारे में मान्यता है कि यहां पांडवों के बड़े भाई युधिष्टिर और यक्ष के बीच प्रश्न उत्तर हुए थे।
एक लाख की आबादी वाले इस कस्बे में स्थित त्रिपुर बाला सुंदरी पीठ को हिंदुओं के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है जहां हर साल मेला लगता है और लाखों लोग मन्नते मांगने यहां आते हैं। यहां स्थित एक सरोवर की भी बहुत मान्यता है कहा जाता है उसमें स्नान करने मात्र से शरीर के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
इस मंदिर के द्वार पर लगा शिलालेख प्राचीन काल का कहा जाता है उस पर लिखे गए लेख को आज तक नहीं पढ़ा जा सका है। जैसा की विधायक दावा करते हैं कि इसका पुराना नाम देववृंद था उसको लेकर भी कई किस्से हैं। कोई इसे देवबन कहता है तो कोई देववृंद।
यहां के स्थानीय नागरिक बताते हैं कि प्राचीन काल में यह पूरा इलाका घने वनों से घिरा हुआ था उन वनों को लेकर मान्यता थी कि यहां देव निवास करते हैं इसलिए इसे देववन कहा जाता था। जबकि देववृंद के बारे में माना जाता है कि देवों का स्थल होने के कारण इसे देववृंद कहा गया है। भाजपा विधायक भी दावा करते हैं कि महाभारत काल के कई प्राचीन अवशेष आज भी यहां हैं।