अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में जहाजों पर हमलों की श्रृंखला के बीच अमेरिका ने एक और सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया है। अमेरिकी सेना ने बताया कि उसने पूर्वी प्रशांत महासागर में एक नाव को निशाना बनाकर नष्ट कर दिया, जिसमें एक नाविक की मौत हो गई। अमेरिका और वेनेजुएला के बीच राजनीतिक और रणनीतिक तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है ऐसे में यह कार्रवाई की गई है।
अमेरिकी साउदर्न कमांड (SOUTHCOM) ने एक बयान में कहा कि जिस नाव को नष्ट किया गया, वह नामित आतंकवादी संगठनों से जुड़ी थी और मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़े ज्ञात समुद्री मार्गों पर संचालित हो रही थी। बयान में दावा किया गया कि नाव ड्रग ऑपरेशनों में संलिप्त थी। हालांकि, अमेरिकी सेना ने न तो मारे गए व्यक्ति की पहचान सार्वजनिक की और न ही इस बात के सबूत पेश किए कि नाव वास्तव में नशीले पदार्थों को ले जा रही थी। इसके अलावा, यह भी स्पष्ट नहीं किया गया कि कथित तौर पर नाव किस आतंकवादी संगठन से जुड़ी थी।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2 सितंबर से अब तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर अमेरिकी सेना अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में कम से कम 29 हमले कर चुकी है। इन कार्रवाइयों में अब तक 105 नाविकों के मारे जाने की पुष्टि की गई है। अमेरिका का कहना है कि यह अभियान ड्रग तस्करी के खिलाफ चलाया जा रहा है।
यह ताज़ा हमला ऐसे समय में हुआ है, जब ट्रंप प्रशासन ने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। अमेरिका ने वेनेजुएला जाने वाले प्रतिबंधित जहाजों पर नाकाबंदी की घोषणा की है और अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में दो तेल टैंकरों को जब्त करने के साथ-साथ एक अन्य टैंकर का पीछा भी किया है।
हालांकि, इस अभियान को लेकर आलोचनाएं भी तेज़ हैं। आलोचकों का आरोप है कि ड्रग तस्करी के खिलाफ कार्रवाई की आड़ में अमेरिका वेनेजुएला पर दबाव बढ़ा रहा है, मादुरो सरकार को गिराने की कोशिश की जा रही है, जिससे अमेरिका, वेनेजुएला के विशाल तेल संसाधनों पर नियंत्रण बना सके। विशेषज्ञों का कहना है की इसे अमेरिका द्वारा वेनेजुएला की स्वायत्तता पर हमला माना जाना चाहिए। कई मानवाधिकार और कानूनी विशेषज्ञों ने इन हमलों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते हुए संभावित युद्ध अपराध करार दिया है।
आलोचकों का कहना है कि बिना हथियारबंद लोगों को अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में मारना, उन्हें गिरफ्तार कर कानूनी प्रक्रिया के तहत पेश करने के बजाय सीधे मार देना, न केवल अंतरराष्ट्रीय कानून बल्कि अमेरिका की लंबे समय से चली आ रही नीति के भी खिलाफ है। विशेष रूप से 2 सितंबर की एक घटना का उल्लेख किया जा रहा है, जिसमें अमेरिकी सेना ने कथित तौर पर पहले हमले में जहाज के नष्ट होने के बाद बचे दो निहत्थे नाविकों पर दोबारा हमला कर उन्हें मार डाला था, जबकि वे टूटे हुए जहाज के मलबे से चिपके हुए थे और उनके पास न तो हथियार थे और न ही कोई संचार उपकरण।
इन आरोपों के बावजूद ट्रंप प्रशासन, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और उनके समर्थक इस अभियान को ड्रग तस्करों के खिलाफ वैध कार्रवाई बताते रहे हैं। अमेरिका का कहना है कि वह अपने फैसलों पर कायम है और अभियान आगे भी जारी रहेगा।
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