अमेरिका ने रूस के खिलाफ मोर्चा तेज करते हुए जी-7 देशों से उन देशों पर टैरिफ लगाने की अपील की है, जो अब भी रूस से तेल खरीद रहे हैं। वॉशिंगटन का कहना है कि रूसी ऊर्जा से होने वाली आमदनी यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रही है और इसे रोकना ज़रूरी है। शुक्रवार (12 सितंबर)को जी-7 देशों के वित्त मंत्रियों के साथ हुई बैठक में अमेरिकी राजदूत जेमिसन ग्रीर और वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की यह मांग दोहराई कि सहयोगी देश रूस की कमाई के स्रोतों को काटने में निर्णायक कदम उठाएं।
बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया, “केवल एकजुट होकर ही हम उस राजस्व को रोक सकते हैं जो पुतिन की युद्ध मशीन को चला रहा है। तभी हम युद्ध को खत्म करने के लिए पर्याप्त आर्थिक दबाव बना पाएंगे।”
ट्रंप प्रशासन का कड़ा रुख
अमेरिका पहले ही उन देशों पर कड़े शुल्क लगाने की दिशा में कदम बढ़ा चुका है जो अब भी रूस से कच्चा तेल आयात कर रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक, यह नीति राष्ट्रपति ट्रंप की उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत रूस को बातचीत की मेज पर लाने का दबाव बनाया जा सके। ग्रीर और बेसेंट ने कहा कि उन्हें खुशी है कि जी-7 के वित्त मंत्रियों ने मौजूदा प्रतिबंधों को और सख्त करने तथा रूस की जब्त संपत्तियों को यूक्रेन की रक्षा में इस्तेमाल करने पर विचार करने की प्रतिबद्धता जताई है। बयान में आगे कहा गया, “राष्ट्रपति ट्रंप के साहसिक नेतृत्व के चलते अमेरिका ने पहले ही रूसी तेल पर निर्भर देशों के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं। अब हमें उम्मीद है कि जी-7 साझेदार भी निर्णायक कदम उठाने में हमारे साथ खड़े होंगे।”
ट्रंप ने शुक्रवार को फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि वह रूस पर आर्थिक मोर्चे पर बहुत सख्त कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा, “इसका असर बैंकों पर प्रतिबंधों के साथ-साथ तेल और टैरिफ पर भी गंभीर पड़ेगा।” जब उनसे पूछा गया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर शिकंजा कसने का क्या मतलब है तब उन्होंने कहा, “देखिए, भारत उनका सबसे बड़ा ग्राहक था। मैंने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया क्योंकि वे रूस से तेल खरीद रहे हैं। यह कोई आसान काम नहीं है। यह एक बड़ी बात है, और इससे भारत के साथ दरार पैदा होती है।” ट्रंप ने आगे कहा,”और याद रखिए कि यह हमारी समस्या से कहीं ज़्यादा यूरोप की समस्या है।”
बता दें की, जी-7 देशों के भीतर इस बात पर बहस हो रही है कि प्रतिबंधों को कितना कड़ा किया जाए ताकि वैश्विक ऊर्जा संकट और न बढ़े। खासकर विकासशील देश अभी भी रूसी तेल और गैस पर निर्भर हैं, इस स्थिति से प्रभावित हो सकते हैं। दौरान भारत पर रुसी तेल आपूर्ति जारी रखने के लिए 50 प्रतिशत टेर्रिफ लगाए गए है। हालांकि चीन, यूरोप, तुर्की और स्वयं अमेरिका का रूस से व्यापार जारी है, जिससे अमेरिकी टेर्रिफ की नीति को पाखंड कहा जा रहा है।
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