देहरादून। उत्तराखंड सरकार भी यूपी और असम के तर्ज पर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की कवायद तेज कर दी है। उत्तराखंड सरकार ने यूपी सरकार द्वारा तैयार किये गए जनसंख्या नियंत्रण कानून का अध्ययन कर रहा है। उत्तराखंड सरकार दो माह से यूपी सरकार द्वारा तैयार मसौदे का अध्ययन बारीकी से कर रहा है। बता दें कि आरएसएस से संबंधित नेताओं ने जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग की थी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में एक समिति की घोषणा की थी जो राज्य में जनसंख्या नियंत्रण पर एक प्रभावी कानून को लागू करने में मदद करेगी। गृह विभाग के एक अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह समिति अभी तक गठित नहीं की गई है, लेकिन हम उत्तर प्रदेश द्वारा तैयार किए गए जनसंख्या नियंत्रण विधेयक की जांच कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि मसौदा विधेयक को इसका अध्ययन करने और उत्तराखंड की सामाजिक और जनसांख्यिकीय स्थितियों पर विचार करने के लिए एक राय देने के लिए कानून विभाग को भेजा गया है। “चूंकि हम उत्तर प्रदेश के विधेयक की जांच कर रहे हैं, सब कुछ देखने के बाद उत्तराखंड में भी निकट भविष्य में ऐसा विधेयक हो सकता है। राज्य के विधि विभाग के अधिकारियों से जब उनकी टिप्पणियों को लेकर संपर्क साधा गया तो उन्होंने इस मामले पर बोलने से इनकार कर दिया। यूपी विधि आयोग ने पिछले महीने उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) मसौदा विधेयक मुख्यमंत्री कार्यालय को इस मामले में विचार करने और आगे की कार्यवाही पूरी करने को कहा था। उस मसौदा विधेयक का उद्देश्य उन लोगों को कई तरह के लाभ प्रदान करना है जो दो से अधिक बच्चे पैदा नहीं करना चाहते हैं। साथ ही इसमें प्रजनन दर को कम करने के लिहाज़ से दो से बच्चे होने पर अभिभावकों के लिए भत्ते आदि कम करने की सलाह दी गई है।
उस मसौदा विधेयक में दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को सरकारी लाभ से वंचित करने और उन्हें स्थानीय निकाय चुनाव लड़ने, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने या किसी भी प्रकार की सरकारी सब्सिडी प्राप्त करने से रोकने का भी प्रस्ताव है। बता दें कि हाल ही में आरएसएस से संबंधित 35 नेताओं ने उत्तराखंड सरकार से मिलकर असम और यूपी की तर्ज पर जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की थी। स्थानीय सरकार राज्य और परिस्थिति के अनुसार कानून बनाने की तैयारी में है।