छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “महान साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल जी का निधन एक बड़ी क्षति है।
वहीं, छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर लिखा, “मैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से अनुरोध करता हूं कि स्व. विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन पर तत्काल राजकीय शोक घोषित करें।
बता दें कि 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ के 25वें स्थापना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वरिष्ठ साहित्यकार और पद्म भूषण विनोद कुमार शुक्ल से बात की थी और उनके स्वास्थ्य तथा कुशलक्षेम के बारे में पूछा था। प्रधानमंत्री ने उनके योगदान की सराहना की थी और उनके स्वास्थ्य की जानकारी लेते हुए कहा था कि ऐसे रचनाकार देश की सांस्कृतिक चेतना को सशक्त बनाते हैं।
विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में हुआ था। उन्होंने अध्यापन को अपना पेशा बनाया, लेकिन उनका मन हमेशा साहित्य सृजन में रमा रहा। शिक्षक रहते हुए भी उन्होंने लेखन को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ आगे बढ़ाया। उनकी लेखन शैली बेहद सरल, सहज और गहरी संवेदनशीलता से भरी रही, जो उन्हें अन्य लेखकों से अलग पहचान दिलाती है।
उन्होंने कविता और उपन्यास दोनों विधाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी पहली कविता ‘लगभग जयहिंद’ वर्ष 1971 में प्रकाशित हुई थी, जिसने साहित्य जगत में उन्हें पहचान दिलाई। उनके प्रमुख उपन्यासों में ‘नौकर की कमीज’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’, और ‘खिलेगा तो देखेंगे’ शामिल हैं। ‘नौकर की कमीज’ पर फिल्म भी बनी, जबकि ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के लिए उन्हें प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।



