मंगलवार को इमरान खान जब सुनवाई के लिए इस्लामाबाद हाईकोर्ट पहुंचे तो उन्हें पाकिस्तान की पैरामिलिट्री फोर्स ने गिरफ्तार कर लिया। इमरान खान की गिरफ्तारी अल-कादिर ट्रस्ट मामले में हुई है। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से ही देश के कई शहरों में हिंसा शुरू हो गई है। इमरान खान के समर्थकों ने रावलपिंडी स्थित सैन्य मुख्यालय पर हमला कर दिया। साथ ही लाहौर में कॉर्प्स कमांडर के घर पर भी पीटीआई समर्थकों ने हमला बोल दिया। पुलिस ने कई शहरों में धारा 144 लगा दी है।
वहीं इससे पहले इस्लामाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस आमेर फारूक ने कहा था कि अगर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ प्रमुख को अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया है तो उन्हें रिहा करना होगा। अदालत ने इस फैसले को सुरक्षित रख लिया था। कुछ घंटों बाद अदालत ने कहा कि इमरान की गिरफ्तारी करते समय राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (NAB) ने सभी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा किया है।
इमरान खान अभी देश भर में 121 मामलों का सामना कर रहे हैं, जिनमें राजद्रोह, आतंकवाद, ईशनिंदा और हिंसा भड़काने के आरोप शामिल हैं। इमरान खान की गिरफ्तारी पर इस्लामाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई और उसने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से ही उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं और कई जगहों पर आगजनी की है। पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में समर्थक सड़कों पर जुटने लगे हैं।
इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद उनकी पार्टी PTI ने ट्विटर पर अपने समर्थकों को एकजुट होने के लिए कहा है। वहीं प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने वाटर कैनन का इस्तेमाल किया और आंसू गैस के गोले दागे। लाहौर में वाटरकैनन का इस्तेमाल किया गया तो कराची में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए।
बता दें कि इमरान खान को रियल एस्टेट कारोबारी मलिक रियाज को जमीन ट्रांसफर करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इमरान का आरोप है कि उन्होंने और उनकी पत्नी बुशरा बीबी ने 50 अरब पाकिस्तानी रुपये को वैध बनाने के लिए एक रियल एस्टेट कंपनी से रिश्वत ली थी। पूर्व प्रधानमंत्री खान, अपनी पत्नी बुशरा और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ एनएबी की जांच का सामना कर रहे हैं।
बीते साल अप्रैल में संसद में अविश्वास प्रस्ताव के जरिये इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ किये जाने के बाद से उनके खिलाफ 120 से अधिक मामले दर्ज किये गए हैं। हालांकि इमरान ने इन सभी मामलों को फर्जी और गढ़ा हुआ करार देते हुए दावा किया है कि ये उन्हें राजनीतिक परिदृश्य से बाहर रखने के लिए दर्ज किये गये हैं।
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