कुंभ और महाकुंभ मेले में क्या अंतर है? कुम्भ मेले कितने प्रकार के होते हैं?

महाकुंभ मेला इस साल 13 जनवरी से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर आयोजित किया रहा है। इस महाकुंभ मेले में 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु और साधु-संत आएंगे|

कुंभ और महाकुंभ मेले में क्या अंतर है? कुम्भ मेले कितने प्रकार के होते हैं?

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हिंदुओं का धार्मिक अनुष्ठान महाकुंभ मेला इस साल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा। इस महाकुंभ मेले में दुनिया भर से श्रद्धालु आ रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुंभ मेला कितने प्रकार का होता है? इस कुम्भ मेले में करोड़ों श्रद्धालु गंगा जल में स्नान करते हैं और अपने पापों से मुक्ति पाते हैं।

इस सभा में हजारों की संख्या में साधु एक सभा की तरह एकत्रित होते हैं। महाकुंभ मेला 12 वर्षों में एक बार एक विशिष्ट स्थान पर आयोजित किया जाता है। इस समागम में हजारों साधु-संत और श्रद्धालु भी पवित्र स्नान करते हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि पापों से मुक्ति मिलने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कुंभ मेले कितने प्रकार के होते हैं?: कुंभ मेले चार प्रकार के होते हैं। पूर्ण कुंभ, अर्ध कुंभ, कुंभ मेला और महा (महान) कुंभ मेला। कुंभ मेला हर तीन साल में आयोजित किया जाता है, जबकि महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है और यह महाकुंभ मेला सबसे दुर्लभ और पवित्र माना जाता है।

इस वर्ष का महाकुंभ मेला 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा। कुंभ मेला और महाकुंभ मेला हिंदू धर्म में सबसे बड़े धार्मिक आयोजन हैं। इसमें लाखों श्रद्धालु बड़ी आस्था के साथ भाग लेते हैं और पापों से छुटकारा पाकर मोक्ष प्राप्त करते हैं।

कुंभ और महाकुंभ मेला ?: कुंभ मेला हर तीन साल में चार पवित्र स्थानों पर आयोजित किया जाता है। हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज में पवित्र स्थानों पर नदियों में डुबकी लगाने से भक्त पापों से छुटकारा पाते हैं और मोक्ष प्राप्त करते हैं। महाकुंभ मेला हर 12 साल में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर आयोजित किया जाता है। इस वर्ष का महाकुंभ मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 के बीच आयोजित किया जा रहा है।

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