​वैवाहिक बलात्कार अपराध है या नहीं, ​जजों​ की नहीं बन पायी सहमति !​

याचिकाकर्ताओं ने आईपीसी (बलात्कार) की धारा 375 के तहत वैवाहिक बलात्कार को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह उन विवाहित महिलाओं के साथ भेदभाव करती है, जिनका उनके पतियों द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता है​|​ ​

​वैवाहिक बलात्कार अपराध है या नहीं, ​जजों​ की नहीं बन पायी सहमति !​

वैवाहिक बलात्कार अपराध है या नहीं, इस पर दिल्ली हाईकोर्ट में कोई नतीजा नहीं निकल सका|​ ​ हाईकोर्ट की 2 जजों की बेंच ने मैरिटल रेप पर फैसला अलग-अलग दिया|​ ​इस वजह से फैसले पर एक सहमति नहीं बन सकी|​ ​

जस्टिस शकधर ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध कहा|​​ वहीं जस्टिस हरिशंकर इससे सहमत नहीं हुए|​​ दोनों जजों ने ​याचिकाकर्ता को सुप्रीम कोर्ट में मामले​ को ले जाने की बात कही है|याचिकाकर्ताओं ने आईपीसी (बलात्कार) की धारा 375 के तहत वैवाहिक बलात्कार को इस आधार पर चुनौती दी थी कि यह उन विवाहित महिलाओं के साथ भेदभाव करती है, जिनका उनके पतियों द्वारा यौन उत्पीड़न किया जाता है|​ ​

आईपीसी के सेक्शन 375 में जो अपवाद है वह वैवाहिक बलात्कार को अपराध की श्रेणी से बाहर करता है और यह दिखाता है कि विवाह में एक पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध बनाना बलात्कार नहीं है|

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