भारत में रहकर भारत के खिलाफ कर रहे थे ऐलान-ए-जंग,जानें कौन हैं ये दुर्दांत अभियुक्त

भारत में रहकर भारत के खिलाफ कर रहे थे ऐलान-ए-जंग,जानें कौन हैं ये दुर्दांत अभियुक्त

मुंबई। शहरी नक्सलवाद पनपाने के प्रकरण में गिरफ्तार अभियुक्त खुद की सरकार खड़ी करना चाहते थे और कुल मिलाकर, वे इस देश में रहकर इसी देश के खिलाफ ऐलान-ए-जंग कर रहे थे, यह दावा है एनआईए का। एनआईए ने इस महीने की शुरुआत में एक मसौदा पेश किया था। हाल ही में उपलब्ध हुई एनआईए की इस ड्राफ्ट रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस साजिश के अंतर्गत जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और टाटा सोशल साइंसेज इंस्टीट्यूट सहित देश भर के विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों को आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के लिए भर्ती कराया गया था।

15 अभियुक्तों पर 17 चार्जेस फ्रेम

मसौदे में 15 अभियुक्तों के खिलाफ कुल 17 चार्ज फ्रेम किए गए हैं। इनमें मानवाधिकार और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं का समावेश है। उनके खिलाफ चार्जेस गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत हैं। गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक एनआईए ने इस बाबत विस्तृत जांच शुरू कर दी है। एनआईए के अनुसार,अभियुक्त प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) (माओवादी) के सक्रिय सदस्य थे। लिहाजा, उनकी गिरफ्तारी की गई है।

क्रांति के नाम पर पक रही थी ये साजिश

एनआईए द्वारा गिरफ्तार ज्यादातर अभियुक्तों में मुख्य रूप से मानवाधिकार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, वर्नोन गोंजाल्विस, वरवर राव, हनी बाबू, आनंद तेलतुम्बडे, शोमा सेन और गौतम नवलखा का समावेश है। मसौदे में फ्रेम चार्जेस के अनुसार, अभियुक्तों का मुख्य इरादा सरकार से सत्ता हथियाने और क्रांति के नाम पर लोगों की सरकार गठित करने के लिए सशस्त्र संघर्ष करना था। मसौदे में यह भी कहा गया है कि पुणे में एल्गर काउंसिल की बैठक में ये अभियुक्त भड़काऊ गाने बजा रहे थे, लघु नाटक कर रहे थे और नक्सलियों के समर्थन में सामग्री बांट रहे थे।

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