इस्लामाबाद। पाकिस्तान अपनी ही जाल में फंसता नजर आ रहा है। अफगानिस्तान में तालिबानी राज लाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले पाकिस्तान को अपनी सीमा अब असुरक्षित लगाने लगी है। अफगानिस्तान में तालिबान के आ जाने से अफगान से सटे पाक इलाकों में आतंकी गतिविधियां बढ़ने के आसार हैं। बताया जा रहा है कि इसकी वजह से पाक ने अफगान सीमा पर अपनी सेना को अलर्ट पर रखा है।
इस्लामाबाद को खासतौर पर पाकिस्तानी तालिबान के उस समूह से खतरा महसूस हो रहा है जो अफगानिस्तान की सीमा पार कर उसके क्षेत्र में भीषण हमलों को अंजाम देता आया है। बीते दो दशक में हजारों पाकिस्तानी जिहादी हिंसा में मारे जा चुके हैं। अफगानिस्तान में ही सुरक्षा की स्थिति इतनी कमजोर है कि बीते कुछ दिन पहले ही आतंकी संगठन आईसआईएस-खुरासान ने काबुल एयरपोर्ट के बाहर आत्मघाती हमला कराया, जिसमें 13 अमेरिकी सैनिकों सहित 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।
पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अगले दो से तीन महीने काफी अहम हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि इस्लामाबाद को डर है कि अफगानिस्तान में तालिबानी राज आने के बाद अफगान-पाकिस्तान बॉर्डर पर आतंकी हमले बढ़ेंगे। अफगानिस्तान में आतंकी संगठनों के फिर से सिर उठाने के खतरों पर बात करते हुए अधिकारी ने कहा, ‘हमें (अंतरराष्ट्रीय समुदाय) को सेना बनाने में तालिबान की मदद करनी चाहिए ताकि वे अपने क्षेत्र को नियंत्रित कर सकें।’ पाकिस्तान के सुरक्षा से जुड़े फैसलों की जानकारी रखने वाले वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी बताया कि इस्लामाबाद जल्द ही अपने सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों को अफगानिस्तान भेजने की तैयारी कर रहा है। यहां तक कि वह अपनी खुफिया एजेंसी आईएसआई के मुखिया को भी काबुल भेजेगा ताकि तालिबान को अफगान सेना का पुनर्गठन करने में मदद कर सके। हालांकि, अफगान तालिबान प्रवक्ता ने इसको लेकर कोई टिप्पणी नहीं दी है।
कश्मीर के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा तालिबान: तालिबानी नेता अनस हक्कानी ने कहा है कि हम कश्मीर के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। जब अनस हक्कानी से सवाल किया गया, पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के बेहद करीब है और वह कश्मीर में लगातार दखल दे रहा है। क्या आप भी पाकिस्तान को समर्थन देने के लिए कश्मीर में दखल देंगे?- इस पर उन्होंने कहा कि कश्मीर हमारे अधिकार क्षेत्र का हिस्सा नहीं है और हस्तक्षेप नीति के खिलाफ है। हम अपनी नीति के खिलाफ कैसे जा सकते हैं?
इसलिए यह स्पष्ट है कि हम कश्मीर में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। क्या हक्कानी नेटवर्क, जैश और लश्कर को कश्मीर मसले पर समर्थन नहीं देगा, इस पर अनस हक्कानी ने कहा कि हम इस पर कई बार स्पष्ट कर चुके हैं और फिर से कह रहे हैं कि यह महज एक प्रोपेगेंडा है। भारत के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। हम नहीं चाहते कि कोई हमारे बारे में गलत सोचे।