नई दिल्ली। नए सहकारिता मंत्रालय का केंद्र सरकार ने गठन किया है। गृहमंत्री अमित शाह को इसका प्रभार सौंपा गया है। इस फैसले को 2024 में होने वाले आम चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। कहा जा रहा है कि इसके पीछे मकसद सहकारिता की हालत सुधारने और किसानों को बिचौलियों से छुटकारा दिलाना भी है। सहकारिता मंत्रालय बनाने का फैसला ऐसे समय लिया गया है, जब देश में किसान नए बने कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में कोआपरेटिव मिनिस्ट्री के जरिए सरकार किसानों का विश्वास जीतना चाहेगी। ऐसे में यह नई मिनिस्ट्री सरकार के लिए गेम चेंजर बन सकती है।
माना जा रहा है कि 2022 में उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्ष किसान आंदोलन का फायदा उठाने की कोशिश करेगा। ऐसे में सहकारिता मंत्रालय का फैसला केंद्र सरकार के लिए बड़ा रोल प्ले कर सकता है। 6 जुलाई को दिए वक्तव्य में कैबिनेट सचिव ने सहकारिता मंत्रालय के बारे में विस्तार से बताया। इसके मुताबिक यह मंत्रालय देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूती देगा। इसके लिए यह प्रशासनिक, कानूनी और पॉलिसी संबंधी सहूलियतें उपलब्ध कराएगा। इसके जरिए सहकारिता ग्रासरूट तक पहुंचेगा और संबंधित लोग इससे जुड़ सकेंगे।
सहकारिता आंदोलन के मामले में भारत का इतिहास काफी समृद्ध है।