नई दिल्ली। भारत की देसी वैक्सीन कोवैक्सीन को इस सप्ताह डब्ल्यूएचओ से मंजूरी मिल सकती है। मालूम हो कि डब्लूएचओ ने कोवैक्सीन को इमरजेंसी यूज की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है। जिसकी वजह से इस वैक्सीन को लगवाने वाले लोगों दूसरे देशों की यात्रा करने में परेशानी हो रही है। बताया जा रहा है कि डब्ल्यूएचओ ने हैदराबाद स्थित निर्माता कम्पनी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की ईओआई यानि एक्सप्रेशन ऑफ़ इंटरेस्ट को किया था। अगर कोवैक्सीन को मंजूरी दे देता है है तो लोगों को दूसरे देशो की यात्रा करने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
कोवैक्सीन पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है, फिलहाल भारत सरकार की ओर से भी इस वैक्सीन की इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी चुकी है और आम जनता के लिए यह उपलब्ध भी हो चुकी है। दरअसल, को वैक्सीन को आईसीएमआर और भारत बायोटेक ने मिलकर विकसित किया है। अब तक इस को वैक्सीन को अब विश्व स्वास्थ्य संगठन की इमरजेंसी यूज की लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है, जिसकी वजह से कई देशों ने को वैक्सीन लगवाने वाले लोगों के ट्रेवल को मंजूरी नहीं दी है।
बता दें कि दरअसल, डब्ल्यूएचओ की ओर से मंजूरी में देरी होने की वजह से भारत बायोटेक को कुछ विदेशी देशों में वैक्सीन को मंजूरी मिलने में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। डब्ल्यूएचओ की ओर से इस वैक्सीन को मंजूरी मिलने का मतलब है कि कोवैक्सीन का दायरा दुनियाभर में बढ़ जाएगा। कोवैक्सीन को डब्ल्यूएचओ की ओर से मंजूरी मिलने को लेकर अगस्त के मध्य में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन से मुलाकात की थी।
जिसमें उन्होंने भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके कोवैक्सीन को वैश्विक स्वास्थ्य निकाय की मंजूरी दिलाने पर चर्चा की थी। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 12 सितंबर तक कम से कम 738 मिलियन लोगों को कोरोना वैक्सीन की डोज दी गई। केंद्र ने अब तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 722,117,085 वैक्सीन डोज दी हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 12 सितंबर तक कम से कम 738 मिलियन लोगों को कोरोना की डोज दी गई।