नई दिल्ली।किसान नेता योगेंद्र यादव को संयुक्त किसान मोर्चा ( एसकेएम) ने एक महीने के लिए निलंबित कर दिया है। योगेंद्र यादव पर यह कार्रवाई लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान मारे गए बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर जाने पर की गई है। बताया जा रहा है कि योगेश यादव शुभम के परिजनों से मिलने से पहले संयुक्त किसान मोर्चा से अनुमति नहीं ली थी। बता दें कि लखीमपुर हिंसा के दौरान आठ लोगों को जान गई थी। सवाल यह है कि क्या योगेंद्र यादव बीजेपी कार्यकर्ता के घर जाकर गुनाह किया? नैतिकता और संस्कार की दुहाई देने वाला संयुक्त किसान मोर्चा मानवता की सारी हदें पार कर दिया है।
आसान शब्दों में कहा जाए, तो योगेंद्र यादव के निलंबन ने किसान आंदोलन में घुसी राजनीति का वीभत्स चेहरा सामने ला दिया है। योगेंद्र यादव जब लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों की श्रद्धांजलि सभा में भाग लेने के बाद भाजपा कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर संवेदना जाहिर करने गए थे। तो, इसके बाद किसान आंदोलन के राजनीतिक होने को लेकर लोगों के बीच पनप रहा रोष कुछ कम हुआ था। कहना गलत नहीं होगा कि योगेंद्र यादव ने जो किया, वह मानवता और नैतिकता के नाते हर शख्स करने की कोशिश करता. इससे किसान आंदोलन की छवि भी सुधरती। लेकिन, इसे नजरअंदाज किया जा सकता है।
योगेंद्र यादव ने संयुक्त किसान मोर्चा से निलंबन पर कहा है कि मुझे वहां जाने से पहले संयुक्त किसान मोर्चा के साथियों से चर्चा करनी चाहिए थी। मैंने इस पर खेद जता दिया है। योगेंद्र यादव का इस मामले पर साफ मत है कि नीति और सिद्धांत के अनुसार हमें हर किसी के शोक में शरीक होने का हक है। किसान आंदोलन के जो कथित किसान खुद ही लोगों के बीच विभाजन की दीवार खींच रहे हों ,वहां राजनीति पर दोष आना लाजिमी है। यह फैसला गुरुवार को आयोजित एसकेएम की बैठक में लिया गया।
इसमें यादव भी मौजूद थे। योगेंद्र यादव के शुभम मिश्रा के घर जाने के तुरंत बाद से पंजाब में किसान यूनियनें उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगी थीं। गत तीन अक्टूबर को जिले के तिकोनिया इलाके में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद योगी सरकार ने हिंसा में मारे गए किसानों के परिजनों को 45 लाख रुपए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी जबकि घायलों को 10 लाख रुपया देने का ऐलान किया था।