अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक ऐसा गट बैक्टीरिया खोजा है जो लोगों को वजन कम करने और उनकी मेटाबॉलिक हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। ये बेहद क्रांतिकारी खोज है जो लोगों को वेट लॉस इंजेक्शन और दवाओं से निजात दिला सकती है।
चूहों पर की गई स्टडी में, यूटा यूनिवर्सिटी की टीम ने पाया कि खास तरह का गट बैक्टीरिया ‘ट्यूरिसीबैक्टर’ मेटाबॉलिक हेल्थ को बेहतर बनाने में सक्षम है और वजन को बढ़ने न देने में भी कारगर है।
शोधार्थियों ने पाया कि मोटापे के शिकार लोगों में ट्यूरिसीबैक्टर कम होता है। इससे पता चलता है कि यह माइक्रोब इंसानों के वजन को अच्छे से मैनेज करता है। जर्नल ‘सेल मेटाबॉलिज्म’ में ये पेपर प्रकाशित हुआ। जिसमें टीम ने दावा किया कि ये नतीजे गट बैक्टीरिया को व्यवस्थित कर वजन नियंत्रित करने के नए तरीके बता सकते हैं।
ट्यूरिसीबैक्टर, एक रॉड के आकार का बैक्टीरिया है जो हाई-फैट डाइट वाले चूहों में ब्लड शुगर, खून में फैट का लेवल और वजन बढ़ने को अकेले ही कम करता पाया गया। ट्यूरिसीबैक्टर के असर शायद अनोखे न हों; कई अलग-अलग गट बैक्टीरिया शायद मेटाबॉलिक हेल्थ में योगदान करते हैं और हो सकता है जानवरों के मॉडल पर जो नतीजे आए हैं वो इंसानों पर लागू न हों।
लेकिन रिसर्चर्स को उम्मीद है कि ट्यूरिसीबैक्टर ऐसे इलाज डेवलप करने के लिए एक शुरुआती पॉइंट हो सकता है जो हेल्दी मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देते हैं और वजन बढ़ने से रोकते हैं। रिसर्चर्स ने पाया कि ट्यूरिसीबैक्टर, सेरामाइड्स नामक फैटी मॉलिक्यूल बनाने के तरीके को प्रभावित करके मेटाबॉलिक हेल्थ को बेहतर बनाता है।
हाई-फैट डाइट पर सेरामाइड का लेवल बढ़ जाता है, और सेरामाइड के हाई लेवल कई मेटाबॉलिक बीमारियों से जुड़े होते हैं, जिनमें टाइप 2 डायबिटीज और दिल की बीमारी शामिल हैं। इस शोध की ऑथर केंड्रा क्लैग ने कहा, “अलग-अलग माइक्रोब्स की और जांच के साथ, हम माइक्रोब्स को दवा में बदल पाएंगे और ऐसे बैक्टीरिया ढूंढ पाएंगे जो अलग-अलग बीमारियों वाले लोगों में कम हो सकते हैं।”
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