श्वसन संबंधित समस्याओं के निवारण में योग लाभकार

रोजाना योगाभ्यास करने से गंभीर बीमारियों में कमी

श्वसन संबंधित समस्याओं के निवारण में योग लाभकार

शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की स्वास्थ्य समस्याओं में सबसे लाभकारी योगासनों को माना जाता है। रोजाना योगाभ्यास की आदत बना लेने से मौजूदा समय में बढ़ रही कई गंभीर बीमारियों के जोखिम को आसानी से कम किया जा सकता है। योग की सहायता से दीर्घकालीन बीमारी संबंधित समस्याओं के जोखिम को कम भी किया जाता है, ऐसे में  क्या योगाभ्यास से श्वसन तंत्र की समस्याओं में भी लाभ पाया जा सकता है? श्वसन संबंधित कई तरह की बीमारियों की समस्याओं को योगासनों की मदद से कम करने में मदद मिल सकती है। अध्ययनों में पाया गया है कि कुछ अभ्यास फेफड़ों को स्वस्थ बनाए रखने के साथ ही साथ श्वसन प्रक्रिया को आसान बनाने और इसकी जटिलताओं को कम करने में सहायक हो सकते हैं। इसी तरह की लाभकारी योगों की चर्चा आज यहाँ करेंगे। 

 कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं में सुखासन योग को लाभकारी अभ्यास के तौर पर जाना जाता है। इस तरह के योग फेफड़ों की विसंगतियों को दूर करने के साथ ही रक्त के प्रवाह को उत्तेजित करने में लाभकारी हैं। इस आसन का प्रयोग न केवल ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाता है, बल्कि श्वसन संबंधी विकारों और खांसी-सर्दी के लक्षणों को कम करने में भी सहायक होता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से तनाव और चिंता भी कम होती है। 

वहीं एक योग है भुजंगासन वैसे तो यह योग कमर और पीठ के दर्द को दूर करने के लिए विशेष लाभकारी माना जाता रहा है, साथ ही यह श्वसन से संबंधित दिक्कतों को कम करने में भी सहायक है। भुजंगासन योग मानसिक शांति में मदद करने वाला अभ्यास है साथ ही छाती और फेफड़ों के लिए भी इसे काफी फायदेमंद माना जाता है। रीढ़ को मजबूत करने और दमा के लक्षणों से राहत दिलाने में भी यह फायदेमंद माना जाता है।  

योग विज्ञान में “सभी रोगों को नष्ट करने वाले” अभ्यास के रूप में मत्स्यासन योग को जाना जाता है। फेफड़ों की मांसपेशियों के खिंचाव करने और उन्हें मजबूती देने में यह योग विशेष लाभकारी हो सकता है। पूरे शरीर में रक्त के बेहतर परिसंचरण को बढ़ावा देने में भी इस आसन का अभ्यास लाभकारी होगा। कई प्रकार की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में मत्स्यासन योग करना लाभप्रद माना जाता है।
 

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