भारत-पाकिस्तान के बीच 7 मई से 10 मई तक चले 88 घंटे लंबे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी वायुसेना के एक या अधिक F-16 लड़ाकू विमानों के नुकसान की खबरों पर अमेरिकी सरकार ने सीधा जवाब देने से इनकार कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग ने इस मुद्दे पर कहा की, “हम आपसे कहेंगे कि आप पाकिस्तान सरकार से उसके F-16 विमानों पर बात करें।”
पाकिस्तान एयरफोर्स (PFA) के पास लगभग 75 F-16 जेट्स हैं, जिनका संचालन एक विशेष अमेरिका-पाकिस्तान समझौते के तहत किया जाता है। इस समझौते के मुताबिक, अमेरिका की एक टेक्निकल सपोर्ट टीम पाकिस्तान में 24 घंटे मौजूद रहती है, जो इन विमानों के रखरखाव, तकनीकी सहायता और परिचालन स्थिति पर लगातार नजर रखती है। यह टीम हर समय इन विमानों की तकनीकी स्थिति की जानकारी रखती है और जरूरत पड़ने पर तत्काल सहायता प्रदान करती है।
अमेरिकी उपस्थिति का यह प्रावधान दोनों देशों के बीच हुए रक्षा सहयोग समझौतों का हिस्सा है, जिसके तहत पाकिस्तान अपने F-16 जेट्स को युद्ध में इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन इसके तकनीकी प्रबंधन में अमेरिका की सक्रिय भूमिका बनी रहती है।
F-16 विमानों को लेकर अमेरिका की यह चुप्पी तब और दिलचस्प हो जाती है क्योंकि 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के अगले दिन हुई डॉग फाइट में भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने अपने मिग-21 से एक पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया था। उस समय अमेरिका ने तुरंत बयान देकर इस घटना की पुष्टि और प्रतिक्रिया दी थी।
इस बार, ऑपरेशन सिंदूर में संभावित F-16 नुकसान पर वॉशिंगटन का नो कमेंट रुख सवाल खड़े करता है। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, यह चुप्पी या तो संवेदनशील सैन्य जानकारी छिपाने का संके है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि F-16 नुकसान की पुष्टि होती है, तो यह पाकिस्तान वायुसेना की क्षमताओं पर एक बड़ा आघात होगा और भारत के लिए सामरिक बढ़त का संकेतक भी।
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