मुंबई। करियर के लिहाज से एकेडमिक शिक्षा के तहत 12 वीं की परीक्षा बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि भविष्य की अगली दिशा यहीं से तय होती है। महाराष्ट्र उच्च माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12 वीं की परीक्षा इस बार ऐन वक्त पर होते-होते रह गई। वह कोरोना के कारण जारी लॉकडाउन की भेंट चढ़ गई। बावजूद इसके शिक्षा-विशारदों ने विद्यार्थियों का साल बर्बाद होने से बचाने व योग्यता का मूल्यांकन करने की राह खोलते हुए समीकरण बनाया। फिर भी नतीजे और लेट होने के आसार दिखाई दे रहे हैं और इसकी वजह बन रहा है मंडल की मूल्यांकन प्रणाली का लगातार डाउन सर्वर।
करीब 92 प्रतिशत कार्य पूरा: 12 वीं के विद्यार्थियों के अंकों के कम्प्यूटरीकरण का कार्य करीब 92 प्रतिशत पूरा हो चुका है। लेकिन सर्वर के लगातार डाउन रहने से इस कार्य में जुटे शिक्षक भी आजिज आ गए हैं। उन्हें घंटों सर्वर की राह तकनी पड़ती है। मंडल द्वारा इस कार्य के लिए उन्हें मुहैया कराए कम्प्यूटर सिस्टम में अंक फीड किए जाते हैं। परंतु कई मर्तबा बिजली की आंखमिचौली की वजह से उन्हें इस कार्य में काफी वक्त लग जाता है। साथ ही इंटरनेट सेवा के ठप होने पर समय की बरबादी होती है, वह अलग।
16 लाख परीक्षार्थियों का नतीजा है नए सिस्टम के हवाले: दरअसल, ठाकरे सरकार ने ऐन वक्त पर शिक्षकों को मूल्यांकन के कार्य में जुटाया, फिर भी खुद को इस कार्य में झोंक उन्होंने नतीजे की प्रक्रिया आरंभ कर दी। इस बार 12 वीं के करीब 16 लाख विद्यार्थियों का शैक्षिक भविष्य मूल्यांकन प्रक्रिया के हवाले है। 10 वीं के नतीजे भी 17 दिन में घोषित कर एसएससी बोर्ड ने रिकार्ड कायम कर दिया है। 12 वीं के नतीजे के लिए 30:30:40 के समीकरण का ऐलान पहले ही हो चुका है। यह समीकरण ऐसा है कि इसमें 10 वीं की परीक्षा में सबसे ज्यादा प्राप्तांक वाले 3 विषयों के औसत का 30 प्रतिशत, 11 वीं की सालाना परीक्षा में विषयवार प्राप्तांकों का 30 प्रतिशत और 12 वीं की साल भर में हुई सिमेस्टर, सभी यूनिट टेस्टों व प्रीलियम परीक्षा में विषयवार मिले अंकों के 40 प्रतिशत का समावेश है।
शिक्षक बुरी तरह हैरान: सुप्रीम कोर्ट के कहे मुताबिक 12 वीं की परीक्षा के नतीजे 31 जुलाई तक घोषित कर दिए जाने हैं। लेकिन मूल्यांकन के अंक फीड करने में हो रही अड़चन विकट है, इससे शिक्षक बुरी तरह हैरान हो गए हैं। इसलिए अब शिक्षक ही माँग कर रहे है कि इसकी मियाद बढ़ाई जाए।