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Thursday, December 25, 2025
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बांग्लादेश में हिंसक विरोध प्रदर्शन तेज: ‘कानून-व्यवस्था नहीं बची, यूनुस दे रहे हैं समर्थन’

पूर्व मंत्री का आरोप

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बांग्लादेश में-भारत-विरोधी, इस्लामी चरमपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं। राजधानी ढाका समेत देश के कई हिस्सों में दंगे भड़क उठे है। गुरुवार (18 दिसंबर) रात से शुक्रवार(19 दिसंबर) सुबह तक हजारों लोग सड़कों पर उतरे और हादी की हत्या के लिए न्याय की मांग करते हुए प्रदर्शन किए। देखते ही देखते विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया और कई जगहों से आगजनी, तोड़फोड़ और हमलों की खबरें सामने आईं।

32 वर्षीय शरीफ उस्मान हादी वर्ष 2024 में छात्र आंदोलन की आड़ में तख़्तापलट के प्रमुख चेहरों में शामिल थे। पिछले सप्ताह एक हत्या के प्रयास में गोली लगने के बाद हादी को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। हादी के मौत की खबर फैलते ही आक्रोश भड़क उठा और विरोध प्रदर्शन ढाका से अन्य शहरों तक फैल गए। इस दौरान कई जगहों पर भारत विरोधी नारे भी लगाए गए, जिससे हालात और संवेदनशील हो गए।

हिंसा के बीच बांग्लादेश के पूर्व सूचना मंत्री मोहम्मद ए.ए.अराफात ने मौजूदा हालात पर गंभीर बातें उजागर की हैं। उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कहा, “देश में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज़ नहीं बची है। ये भीड़ सिर्फ राजनीतिक विरोधियों को नहीं, बल्कि हर उस चीज़ को निशाना बना रही है जो सेकुलर मूल्यों का प्रतिनिधित्व करती है।”

अराफात ने बताया कि प्रदर्शनकारी समूहों ने प्रोथोम आलो और डेली स्टार जैसे अखबारों के दफ्तरों पर हमले किए, साथ ही छायानट जैसे सांस्कृतिक संस्थानों को भी निशाना बनाया। उन्होंने कहा, “ये लोग उदारवादियों को टारगेट कर रहे हैं। जो भी कट्टरपंथ के खिलाफ आवाज़ उठाता है, उस पर हमला किया जा रहा है। यूनुस इस समूह को समर्थन दे रहे हैं।”

पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि मौजूदा हिंसा 1971 के मुक्ति संग्राम की भावना पर हमला है। उन्होंने कहा, “अब तो अवामी लीग के आलोचक भी सुरक्षित नहीं हैं। प्रो-पाकिस्तान तत्व मजबूत हो गए हैं। लोग बदलाव चाहते थे, लेकिन अब उन्हें चरमपंथ मिला है। ये लोग लोकतंत्र में विश्वास नहीं करते।”

बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और भारत-विरोधी माहौल पर भारत में भी चिंता जताई जा रही है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि पड़ोसी देश में भारत के खिलाफ बढ़ती शत्रुता बेहद चिंताजनक है और भारत बांग्लादेश के लोगों से मुँह नहीं मोड़ सकता। सूत्रों के मुताबिक, हादी की मौत के बाद भड़की हिंसा से आगामी चुनावों को असुरक्षित दिखाने की कोशिश की जा रही है, ताकि चुनाव टाले जा सकें और कट्टरपंथी ताकतों को मजबूत होने का समय मिले। फिलहाल हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं और पूरे क्षेत्र की नजर बांग्लादेश में आगे होने वाले घटनाक्रम पर टिकी है।

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