11 दोषियों के खिलाफ बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट का किया रुख

बिलकिस बानो ने 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती दी है

11 convicts in Bilkis Bano case challenged in Supreme Court

साल 2002 के गोधरा दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म और परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को चुनौती देते हुए बुधवार,30 नवंबर को बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट उस आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जिसमें गुजरात सरकार को 11 दोषियों को रिहा करने के लिए 1992 के छूट नियमों को लागू करने की अनुमति दी गई थी। बता दें कि गुजरात सरकार ने इस साल 15 अगस्त को 11 लोगों को रिहा कर दिया था, जिन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। फिलहाल, इस मामले पर कब सुनवाई होगी, इसकी तारीख सामने नहीं आई है। 

बानो के वकील ने लिस्टिंग के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। सीजेआई ने कहा कि वह इस मुद्दे की जांच करेंगे कि क्या दोनों याचिकाओं को एक साथ सुना जा सकता है और क्या उन्हें एक ही बेंच के सामने सुना जा सकता है। मामले के सभी 11 आजीवन दोषियों को 2008 में उनकी सजा के समय गुजरात में प्रचलित छूट नीति के अनुसार रिहा कर दिया गया था। वहीं गुजरात सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए बिलकिस ने कहा बीते दिनों कहा था कि ‘इतना बड़ा और अन्यायपूर्ण फैसला’ लेने से पहले किसी ने उनकी सुरक्षा के बारे में नहीं पूछा और नाही उनके भले के बारे में सोचा। उन्होंने गुजरात सरकार से इस बदलने और उन्हें ‘बिना डर के शांति से जीने’ का अधिकार देने को कहा। 

बता दें, यह मामला गोधरा कांड के बाद 27 फरवरी, 2002 में हुए हुए गुजरात दंगों से जुड़ा है। जिसमें साबरमती एक्सप्रेस पर भीड़ द्वारा हमला किए जाने के बाद 59 लोगों की मौत हो गई थी। इस समय बिलकिस बानो 21 साल की थी और पांच माह की गर्भवती थीं। दंगों के बीच भागते समय बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था और उसके परिवार के सात सदस्य की हत्या कर दी गई थी। मृतकों में उसकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी। 

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