कोरोना का कारण बताकर राज्य के विद्यालय- महाविद्यालयों को बंद करने का ठाकरे सरकार का दांव फिर से स्पष्ट हुआ है। 1 दिसंबर से विद्यालय शुरू करने की घोषणा होने के बाद भी इस निर्णय की जिम्मेदारी स्थानीय निकायों के कंधे पर डालकर राज्य की शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने का प्रयास है इस नीतिगत लकवे के कारण पिछले दो सालों में शिक्षा व्यवस्था उध्वस्त हो गई है। प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता केशव उपाध्ये ने संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही।
भाजपा नेता ने कहा कि शिक्षा के संदर्भ में कोई भी ठोस निर्णय न लेते हुए केवल टालमटोल करके जिम्मेदारी से पीछे हटने के ठाकरे सरकार के भ्रम की आज वर्ष पूर्ति हुई है। पिछले साल 22 नवंबर को इस सरकार ने बड़े गाजे बाजे के साथ विद्यालय शुरू करने के बारे में समाचार प्रसारित किया। सरकार का बड़ा निर्णय है इसलिए इसे भरपूर प्रसिद्ध भी मिली, और विद्यालय शुरू करने के संदर्भ में निर्णय का अधिकार स्थानीय स्तर पर देकर ठाकरे सरकार ने अपने निर्णय की हवा ही निकाल दी, कुल मिलाकर मंत्रालय स्तर पर शिक्षा के संबंध में निर्णय लेने के बारे में सरकार के अंदर प्रचंड भ्रम की स्थिति है, शिक्षा को हवा हवाई करने के जैसे इस विभाग को भी अपने हाल पर छोड़कर फिर से एक बार सरकार ने अपने नीतिगत लकवे का सबूत दिया है।
सत्ता में आने के बाद से ठाकरे सरकार ने महाराष्ट्र की शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करके विद्यालयों में ताला लगाने के खेल के कारण विद्यार्थियों का बड़ा नुकसान हो रहा है। इस विभाग की जिम्मेदारी रखने वाले कांग्रेस पर इस असफलता का ठीकरा फोड़ने का दांव शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस का है ऐसा उनके संयोजन से दिखाई दे रहा है, ऐसी प शंका से पुष्टि मिल रही है।
दो दिन पहले, 29 नवंबर को जारी किए गए सरकार के निर्णय के अनुसार 1 दिसंबर से विद्यालय शुरू करने का आदेश सरकार ने दिया था, लेकिन फिर भी इसका अधिकार स्थानीय स्तर पर सरपंच की अध्यक्षता में समिति बनाकर सरकार ने हाथ झटक लिया। पिछले साल भी निर्णय का अधिकार स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं को देने से राज्य में अनेक जिलों में विद्यालय शुरू करने के बारे में स्थानीय स्तर पर गडबडी होने से पालकों और विद्यार्थियों को प्रचंड मानसिक प्रताड़ना सहन करनी पड़ी थी, ऐसा उपाध्ये ने कहा।
दारु की दुकान, बार शुरू करने के बारे में तत्काल निर्णय लेने वाली सरकार को शिक्षा के विषय मे निर्णय लेते समय नीतिगत लकवा मार देता है, ऐसा आरोप भी उन्होंने लगाया। विदेशी दारू पर कर कम करनेवाली यह सरकार छात्रवृत्ति परीक्षाओं के प्रवेश शुल्क व परीक्षा शुक्ल में वृद्धि करके गुणवत्ता की कीमत को कम कर दिया है, ऐसा दुख भी उन्होंने व्यक्त किया।
उपाध्ये ने कहा कि विद्यालय शुरू होगा इसलिए राज्य के विद्यार्थियों में प्रचंड उत्साह था। विद्यालय- विद्यालय में बच्चों के स्वागत की तैयारी भी हो गई थी। सभी बातों से पलायन और स्थगिति लाने वाली सरकार ने विद्यालय के बारे में भी स्थगिति के नीति को फिर से अपनाकर क्षमता नही है ऐसा फिर से सिद्ध किया है।
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