1 जुलाई तक ईडी की हिरासत में रहेंगे पूर्व गृह मंत्री देशमुख के दोनों सहयोगी

मुंबई। मुंबई की पीएमएलए कोर्ट ने शनिवार को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज धनशोधन से जुड़े एक मामले के संबंध में उनके दो सहयोगियों को एक जुलाई तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में भेज दिया। धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत हुई करीब नौ घंटे की पूछताछ के बाद देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने बताया कि दोनों को यहां एक अदालत के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें ईडी की हिरासत में भेजा गया। उल्लेखनीय है कि आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह ने मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटाए जाने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को मुंबई के बार एवं रेस्त्रां से हर महीने 100 करोड़ रुपये से अधिक की उगाही के निर्देश दिए थे। बांबे हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई द्वारा मुकदमा दर्ज किया गया था।

नागपुर में देशमुख के ट्रस्ट को भेजे गए मुंबईकी बार से वसूले गए करोड़ों रुपए

मुंबई पुलिस में एपीआई रहे सचिन वाझे ने राज्य के तत्कालिन गृहमंत्री अनिल देशमुख के निजी सचिव कुंदन शिंदे को 4 करोड़ 70 लाख रुपयों से भरा बैग सौपा था। यह रकम दिसंबर 2020 से फरवरी 2021 के दौरान मुंबई शहर के बियर बार- आर्केस्ट्रा बार व रेस्टोरेंट से वसूले गए थे। ईडी द्वारा गिरफ्तार देशमुख के पीए शिंदे व संजीव पलांडे की पीएमएलए कोर्ट में पेशी के दौरान जांच एजेंसी ने रिमांड अर्जी में यह दावा किया है। ईडी के रिमांड अर्जी के मुताबिक यह रकम हवाला के जरिए दिल्ली के जैन ब्रदर्स के पास भेजी गई जो कागजी कंपनियों का संचालन करते हैं।

जैन ब्रदर्स की कागजी कंपनियों से 4.18 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे

देशमुख परिवार से मिले निर्देश के अनुसार जैन ब्रदर्स ने विभिन्न कंपनियों से होते हुए इस रकम को दान की आड़ में नागपुर के चैरिटेबल ट्रस्ट साई शिक्षा संस्थान को भेजा। यह संस्था देशमुख परिवार ही चलाता है। इस प्रकार लगभग 4 करोड़ 18 लाख रुपये दान की आड़ में उक्त ट्रस्ट को दिए गए। देशमुख के पुत्र ऋषिकेश देशमुख यह सारी व्यवस्था देख रहे थे। कुल लगभग। उक्त ट्रस्ट को दान की आड़ में जैन ब्रदर्स की कागजी कंपनियों से 4.18 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। यह रकम जैन ब्रदर्स के पास हवाला के माध्यम से पहुंची थी। ईडी के वकील ने कहा कि डमी कंपनियों के निदेशकों में से एक और 4 कंपनियों के मालिक विक्रम राज शर्मा ने अपने बयान में स्वीकार किया कि उनकी कंपनी की स्थापना के लिए आवश्यक पैसे हृषिकेश देशमुख द्वारा उपलब्ध कराया गया था। इन कंपनियों का व्यवसाय केवल अनिल देशमुख के बेटे हृषिकेश देशमुख द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। शर्मा ने यह भी स्पष्ट किया है कि उन्हें उक्त चार कंपनियों के बारे में जानकारी नहीं थी जिसमें वह या तो निदेशक हैं या शेयरधारक। वे हृषिकेश देशमुख के निर्देश पर चेक सहित विभिन्न दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर रहे थे।

वाझे को देशमुख से मिलते थे निर्देश

तलोजा जेल में ईडी के सामने रिकार्ड कराए गए अपने बयान में सचिन वाझे ने कहा है कि उसे सीधे तत्कालिन गृहमंत्री अनिल देशमुख से निर्देश मिलते थे। तत्कालीन गृह मंत्री देशमुख ने अपने सरकारी आवास पर हर बार और रेस्तरां से 3-3 लाख रुपये प्रति माह लेने के लिए कहा और बार मालिकों की सूची सौंपी थी। इसके बाद वाझे ने विभिन्न बार मालिकों के साथ बैठकें कीं। उन्होंने एकत्र किए गए 4.70 करोड़ रुपए दिसंबर, 2020 से फरवरी, 2021 के दौरान देशमुख के तत्कालीन पीए कुंदन शिंदे को सौंप दिए थे।

नागपुर की ट्रस्ट को दिल्ली की कंपनियों से मिले 4 करोड़ 18 लाख

ईडी ने कहा कि बैंक खाते के विवरण की जांच करते वक्त देशमुख परिवार द्वारा संचालित एक धर्मार्थ ट्रस्ट श्री साईं शिक्षण संस्थान नागपुर सामने आया। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष अनिल देशमुख हैं और ट्रस्टियों में देशमुख के परिवार के सदस्य हैं। देशमुख का पीए कुंदन संभाजी शिंदे भी इस संस्था का ट्रस्टी है। यह ट्रस्ट नागपुर में इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेज चलाता है। रहा है। ट्रस्ट के बैंक स्टेटमेंट के विश्लेष से पता चला कि दिल्ली की विभिन्न कंपनियों से ट्रस्ट को चेक द्वारा 4 करोड़ 18 लाख रुपए मिले हैं।

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