बाबरी मस्जिद विध्वंस में शिवसेना के एक भी कार्यकर्ता के शामिल नहीं होने का दावा करने के एक दिन बाद महाराष्ट्र के मंत्री एवं भाजपा नेता चंद्रकांत पाटिल ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि जिन लोगों ने ढांचे को तोड़ा, वे हिंदू थे और उन्हें शिवसैनिकों या भाजपा सदस्यों के रूप में बांटा नहीं जा सकता है। पाटिल के बयान के बाद शिवसेना (उद्धव) के नेता उद्धव ठाकरे ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को या तो अपने पद से हट जाना चाहिए या फिर पाटिल से उनके बयान को लेकर इस्तीफा मांगना चाहिए। पाटिल ने दावा किया कि उनके बयान को लेकर उठे विवाद के बाद मुख्यमंत्री शिंदे ने उन्हें मंगलवार सुबह फोन किया और उन्हें स्पष्टीकरण देने को कहा।
भाजपा नेता पाटिल ने मंगलवार को पुणे में संवाददाताओं से कहा, ‘‘किसी ने भी ‘कारसेवा’ (बाबरी ढांचे को गिराने के लिए आंदोलन) में अपनी पार्टियों के सदस्यों के रूप में भाग नहीं लिया बल्कि हिंदुओं के रूप में शामिल हुए। विध्वंस के समय (दिसंबर 1992 में) शिवसेना कार्यकर्ताओं और गैर-शिवसेना कार्यकर्ताओं के बीच कोई भेद नहीं था। सभी ने हिंदुओं के रूप में भाग लिया।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी विध्वंस में भाग नहीं लिया, पाटिल ने कहा, ‘‘न तो भाजपा और न ही शिवसेना (तब अविभाजित) वहां मौजूद थी। सभी विश्व हिंदू परिषद के नेतृत्व में हिंदुओं के रूप में मौजूद थे।’’
पाटिल ने पूछा, ‘‘क्या इसका मतलब यह है कि शिवसेना ने विध्वंस में भाग नहीं लिया?’’ मंत्री ने कहा, ‘‘सतीश प्रधान (अविभाजित शिवसेना के नेता) जैसे नेता भी राम जन्मभूमि आंदोलन का हिस्सा थे, लेकिन इसका नेतृत्व हमेशा विहिप और उसके नेता (दिवंगत) अशोक सिंघल ने किया। दिवंगत आनंद दिघे (वरिष्ठ शिवसैनिक और मुख्यमंत्री शिंदे के राजनीतिक गुरु) ने ठाणे से अयोध्या के लिए सोने की ईंट भेजी थी।’’ भाजपा की महाराष्ट्र इकाई के पूर्व अध्यक्ष ने यह भी कहा कि एक मराठी समाचार चैनल द्वारा सोमवार शाम जारी किए गए उनके साक्षात्कार के दौरान उनका इरादा किसी भी तरह से शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का अपमान करने का नहीं था। उल्लेखनीय है कि शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे ने कई बार कहा था कि अगर उनके किसी शिवसैनिक ने ढांचे के विध्वंस में भाग लिया था, तो उन्हें गर्व है।
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