मुंबई। नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सहित महा विकास आघाडी के नेताओं ने मांगों का पिटारा खोल दिया। सीएम ने प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की और उनके केंद्र में लंबित मुद्दों को सुलझाने का अनुरोध किया। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार और लोक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण मौजूद थे।इस बैठक के बाद महाराष्ट्र सदन में आयोजित प्रेस वार्ता में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्य के लंबित मुद्दों को लेकर माननीय प्रधानमंत्री जी से मुलाक़ात की। इस दौरान अच्छी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने सभी मुद्दों को गंभीरता से सुना।उनसे केंद्र के पास लंबित मुद्दों पर सकारात्मक निर्णय लेने की उम्मीद है। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री को धन्यवाद देता हूं। चर्चा के दौरान हमारे बीच कोई राजनीतिक मतभेद नहीं दिखाई दिया। मैं और मेरे सहयोगी इस मुलाकात संतुष्ट हैं। इन सवालों पर प्रधानमंत्री निश्चित तौर पर आगे की कार्रवाई करेंगे।
इन मुद्दों पर हुई चर्चा: मराठा आरक्षण, स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण,मेट्रो कार शेड के लिए कांजुरमार्ग में जगह की उपलब्धता, जीएसटी की प्रतिपूर्ति, फसल बीमा योजना, मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा देने और विधान परिषद की राज्यपाल कोटे वाली सीटों पर नियुक्ति को लेकर पीएम से चर्चा हुई। उद्धव ने कहा कि केंद्र सरकार को शिक्षा और रोजगार में आरक्षण के लिए मराठा समुदाय की मांगों को ध्यान में रखते हुए भारत के संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) में संवैधानिक संशोधन करने के लिए कदम उठाने चाहिए, ताकि इंद्र साहनी मामले 50 फीसदी आरक्षण के मुद्दे में ढील मिल सके। उन्होंने कहा कि मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार भी पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रही है। मैं इस तथ्य का स्वागत करता हूं कि केंद्र सरकार 102वें संशोधन की सीमा के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर करेगी। स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण समाप्त होने के मसले पर सीएम ने कहा कि निकाय चुनावों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है और यह प्रावधान पिछले 20-25 वर्षों से राज्य में लागू है। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी के लिए राजनीतिक आरक्षण के संबंध में कुछ संवैधानिक मुद्दों को उठाया है और इसलिए स्थानीय निकायों में ओबीसी के आरक्षण को स्थगित कर दिया गया है। राज्य की ग्राम पंचायतों से लेकर नगर निगमों तक की करीब 56,000 सीटों पर इसका असर पड़ेगा। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए पिछड़ेपन का पता लगाने के लिए कठोर अनुभवजन्य जांच करने का निर्देश दिया है। इसके लिए जनगणना की जानकारी चाहिए। यदि राज्य सरकार को केंद्र से यह जानकारी मिलती है, तो वह अध्ययन कर सकती है और आरक्षण के लिए रिपोर्ट तैयार कर सकती है।मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण संवैधानिक है जबकि ओबीसी आरक्षण वैधानिक है। अतः आपसे अनुरोध है कि ओबीसी आरक्षण को एससी एसटी आरक्षण की तरह संवैधानिक बनाने के लिए संविधान में संशोधन करें। साथ ही इस समस्या को स्थायी रूप से हल करने के लिए 2021 की जनगणना में ओबीसी की जनगणना की जानी चाहिए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रमोशन में आरक्षण का मामला भी उठाया। कहा कि केंद्र सरकार पदोन्नति में आरक्षण के महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे पर कदम उठाए और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को न्याय दिलाए।
मेट्रो कार शेड के लिए कांजुरमार्ग में जगह उपलब्ध: राज्य सरकार ने मेट्रो कार शेड डिपो के लिए कांजुरमार्ग में एक जगह की पहचान की है जो मेट्रो लाइन 3, मेट्रो लाइन 4, मेट्रो लाइन 4 ए, मेट्रो लाइन 6 और मेट्रो लाइन 14 को जोड़ने के लिए उपयुक्त है। पर इस भूखंड को लेकर एक मामला कोर्ट में लंबित है और इसमे केंद्र सरकार को भी प्रतिवादी बनाया गया है। ठाकरे ने इस मसले को कोर्ट से बाहर निपटाने की मांग की।