तेलंगाना सरकार द्वारा जारी जातीय जनगणना पर केंद्रित एक विज्ञापन ने राष्ट्रीय राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। इस विज्ञापन में कांग्रेस के परंपरागत चेहरे सोनिया गांधी और राहुल गांधी की तस्वीर नहीं दिखाई गई, बल्कि केवल मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की मुस्कुराती तस्वीर प्रमुखता से छपी है। इस पर भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक ने चुटकी लेते हुए कहा कि यह कांग्रेस के एक “नए युग की शुरुआत” का संकेत हो सकता है।
अजय आलोक ने अपने एक्स हैंडल पर विज्ञापन साझा करते हुए लिखा, “पहली बार किसी कांग्रेस सरकार के विज्ञापन वो भी ‘जातीय जनगणना’ पे ‘राजमाता और युवराज’ की तस्वीर गायब है। ये कांग्रेस के नए युग का संकेत??? ये ख्याल कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करेगा।”
दरअसल, तेलंगाना सरकार ने शुक्रवार को देशभर के बड़े अखबारों में “जाति जनगणना, समान अधिकारों की नींव — जितनी आबादी, उतना हक” टैगलाइन के साथ एक विज्ञापन प्रकाशित करवाया। इस विज्ञापन में आर्थिक और सामाजिक असमानता को आंकड़ों के ज़रिए दिखाते हुए जाति आधारित आरक्षण की वकालत की गई है।
सरकार ने यह भी संकेत दिया है कि ओबीसी आरक्षण की सीमा 23 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत तक की जाएगी। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने गुरुवार को कहा था कि उनकी सरकार ने जो सामाजिक, शैक्षिक, रोजगार और जातिगत सर्वेक्षण कराया है, उसके आधार पर विधानसभा में आंकड़े पेश किए जाएंगे, और सरकार एक अध्यादेश लाकर ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की योजना पर अमल करेगी।
रेवंत रेड्डी ने साफ कहा,“हमारे पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, न ही कोई गुप्त एजेंडा। हमने राज्य भर से विस्तृत जनसांख्यिकीय और सामाजिक-आर्थिक आंकड़े एकत्र किए हैं। इनका उपयोग कर हम पिछड़े वर्गों को अधिक न्याय देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” रेड्डी से जब मुस्लिम समुदाय को ओबीसी आरक्षण में शामिल करने को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया“हम यह धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि जाति के आधार पर कर रहे हैं।”
पहली बार किसी कांग्रेस सरकार के विज्ञापन वो भी “ जातीय जनगणना “ पे “ राजमाता और युवराज “ की तस्वीर गायब हैं । ये कांग्रेस के नए युग का संकेत ??? “गैंडी मुक्त कांग्रेस “ ये ख्याल कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को उत्साहित करेगा । pic.twitter.com/WzbfHX34l7
— Dr Ajay Alok (@alok_ajay) July 18, 2025
यह बयान इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है क्योंकि विपक्ष अकसर कांग्रेस और सहयोगी दलों पर “तुष्टिकरण की राजनीति” का आरोप लगाते रहे हैं। रेड्डी की स्पष्टता बताती है कि कांग्रेस की यह नई पीढ़ी आरक्षण को धार्मिक नहीं, सामाजिक संरचना के आधार पर देखने की दिशा में बढ़ रही है।
लेकिन गांधी परिवार की तस्वीरों की अनुपस्थिति को लेकर उठी चर्चाएं और अजय आलोक की टिप्पणी यह संकेत देती हैं कि पार्टी के अंदर और बाहर यह सवाल उठ रहा है — क्या यह एक नए नेतृत्व मॉडल की शुरुआत है, जिसमें क्षेत्रीय नेताओं को केंद्र में लाया जा रहा है, और वंशवादी प्रतीकों को धीरे-धीरे पीछे किया जा रहा है?
हालांकि कांग्रेस की ओर से इस पर अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि तेलंगाना में रेवंत रेड्डी नेतृत्व की कांग्रेस सरकार अपनी राजनीतिक और सामाजिक दिशा खुद तय कर रही है — और गांधी परिवार की छाया से बाहर निकलकर एक नई छवि गढ़ने की कोशिश में है।
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