HC ​ने नगर निगम को स्थिति स्पष्ट करने का ​आदेश, मास्क​ ​पर जुर्माना क्यों ?

जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि पिछली सरकार का कोरोना काल में फेस मास्क अनिवार्य करने और न पहनने वालों से जुर्माना वसूलने का फैसला अवैध था​|​​ याचिकाकर्ताओं ने जुर्माना राशि वापस करने का आदेश भी मांगा

HC ​ने नगर निगम को स्थिति स्पष्ट करने का ​आदेश, मास्क​ ​पर जुर्माना क्यों ?

Why the fine on face masks? HC orders Municipal Corporation to clarify the situation

कोरोना के दौरान फेस मास्क का उपयोग नहीं करने वालों के खिलाफ किस कानूनी प्रावधान के तहत दंडात्मक कार्रवाई की गई? हाईकोर्ट ने सोमवार को नगर निगम से यह सवाल किया। साथ ही दो सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का भी आदेश दिया। मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति माधव जामदार की पीठ ने कहा कि अगर नगर पालिका ने कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए नागरिकों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है या न पहनने वालों पर जुर्माना लगाया है, तो हम मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। यह व्यापक जनहित में था।

जनहित याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि पिछली सरकार का कोरोना काल में फेस मास्क अनिवार्य करने और न पहनने वालों से जुर्माना वसूलने का फैसला अवैध था|​​ याचिकाकर्ताओं ने जुर्माना राशि वापस करने का आदेश भी मांगा है।

इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं ने फंड के दुरुपयोग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ कार्रवाई का आदेश देने की भी मांग की है|​ ​इस याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नगर निगम से पूछा कि किस कानूनी प्रावधान के तहत मास्क लागू किया गया और इस नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की गई|​ ​ कोर्ट ने नगर पालिका को महामारी रोग अधिनियम की धारा 2 को लेकर अगली सुनवाई में बहस करने का भी आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सर्टिफिकेट राज्य सरकार ने दिया|​​ इसमें कहा गया था कि कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान को गलत नहीं ठहराया जा सकता है और मौजूदा महामारी के संदर्भ में उचित हैं।

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