मुंबई। कोरोना संक्रमितों के क्वारंटाइन से भागने से घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। लोग सुविधाओं के अभाव का हवाला देकर कोविड सेंटर की बजाय घर में क्वारंटाइन होना चाह रहे हैं पर इस मामले में बांबे हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। सोलापुर के एक कोविड सेंटर से जबरन बाहर निकलने वाले युवकों को हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह अपराध है।यह कहते हुए कोर्ट ने कोविड सेंटर से भागने वाले आरोपी गणेश चिवाटे को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है।
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ गैर जमानती धाराओं में 21 मार्च 2021 को आपराधिक मामला दर्ज किया था। मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए आरोपी ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर किया। न्यायमूर्ति सुरेंद्र तावड़े के सामने आरोपी के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। मामले को लेकर दर्ज की गई एफआईआर पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि जिलाधिकारी के आदेश के तहत आरोपी के गांव में कोविड की जांच चल रही थी। जांच के दौरान आरोपी को कोरोना संक्रमित पाया गया।
डॉक्टरों ने आरोपी को सरकारी एम्बुलेंस से कोविड सेंटर में भर्ती होने को कहा किन्तु आरोपी ने कहा कि वह निजी वाहन में कोविड सेंटर खुद जाएगा। लेकिन कोविड सेंटर पहुंचने के बाद आरोपी ने कोविड सेंटर में भर्ती होने की बजाय होम क्वारंटाइन होने पर जोर देने लगा पर डॉक्टरों ने इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बाद आरोपी डॉक्टरों के साथ बहस करने लगा। यही नहीं आरोपी ने एक अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर कोविड सेंटर में भर्ती लोगों को भी होम क्वारंटाइन के लिए उकसाने लगा।
सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि कोविड सेंटर में पर्याप्त सुविधाएं नहीं थी। इसलिए उनके मुवक्किल ने होम क्वारंटाइन पर जोर दिया था। इसके अलावा अपराध को हुए दो माह का समय बीत चुका है। इसलिए आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत नहीं है।
वहीं सरकारी वकील ने आरोपी की जमानत का विरोध किया। उन्होंने कहा कि आरोपी ने न सिर्फ कोविड सेंटर के कर्मचारियों से बहस की, इसके साथ ही कोविड सेंटर से पांच लोगों को होम क्वारंटाइन के लिए अपने साथ ले गया था। अभी मामले की जांच चल रही है और आरोपी के खिलाफ गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज है। इसलिए आरोपी को जमानत न दी जाए। क्योंकि उसने सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी में अवरोध पैदा किया है।
मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि आरोपी का कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद कोविड सेंटर से भागना व होम क्वारंटाइन के लिए जोर देने की इजाजत महामारी कानून नहीं देता है। यह अपराध के दायरे में आता है। अभी इस मामले की जांच चल रही है। इसलिए आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज किया जाता है।