अपने भ्रष्ट कामकाज के लिए पहचानी जाने वाली देश की सबसे समृद्धिशाली महानगरपालिका मुंबई मनपा (बीएमसी) में एक और घोटाला सामने आया है। यह घोटाला विश्वव्यापी कोरोना महामारी की आड़ में हुआ है। पूर्व भाजपा सांसद किरीट सोमैया ने आरोप लगाया है कि मुंबई मनपा में आरटीपीसीआर, एंटीजन टेस्ट में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया। सोमैया ने यह भी टिप्पणी की कि कोरोना का समय शिवसेना और बीएमसी के अधिकारियों के लिए पैसा बनाने का समय था।
प्रदेश भाजपा कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन में सोमैया ने बताया कि बीएमसी के एक वार्ड अधिकारी मनीष राधाकृष्ण वलंजू ने अपने पिता और दोस्तों के नाम पर लगभग 100 करोड़ रुपये का ठेका ले लिया। मनीष राधाकृष्ण वलंजू एल वार्ड के सहायक आयुक्त थे। अब वे ई वार्ड भायखला के सहायक नगर आयुक्त हैं। मनीष के पिता 70 वर्षीय राधाकृष्ण बालकृष्ण वलंजू ने 21 अगस्त, 2020 को जीनहेल्थ डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की। कुछ ही दिनों में बीएमसी ने इस कंपनी को 30 करोड़ रुपये से अधिक का टेंडर दे दिया। आरटीपीसीआर कोविड टेस्ट का काम इस नई कंपनी को दे दिया गया। राधाकृष्ण वलंजू के पास इस काम का कोई अनुभव नहीं, कोई चिकित्सा विशेषज्ञता भी नहीं है। सोमैया ने आरोप लगाया कि कंपनी चलाने का कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद इस कंपनी को काम कैसे दिया गया।
18 जून, 2021 को मनीष वलंजू के एक मित्र परिवार ने जेनेसिस डायग्नोस्टिक्स कंपनी की स्थापना की। कुछ ही दिनों में बीएमसी ने इस कंपनी को एक बड़ा ठेका दे दिया। सोमैया ने दावा किया कि आरटीपीसीआर और एंटीजन की जांच का काम बीएमसी अधिकारियों और सत्ताधारी राजनीतिक नेताओं के दोस्तों की कंपनियों को दी गई। सोमैया ने मनीष वलंजू के खिलाफ जांच की मांग की है।
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