महाराष्ट्र के ठाणे जिले के डोंबिवली शहर ने कला, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम प्रस्तुत करते हुए एक नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित किया है। डोंबिवली में लगभग 2.5 लाख रंगीन मिट्टी के दीयों (दीपकों) से निर्मित ‘भारत माता’ की विशाल प्रतिकृती ने वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया में अपना नाम दर्ज करवा लिया। यह भव्य कलाकृति न केवल अपने आकार और सौंदर्य के लिए चर्चा में है, बल्कि इसके पीछे की सांस्कृतिक और भावनात्मक भावना ने भी लोगों का दिल जीत लिया है।
यह रिकॉर्ड बनाने वाली कलाकृति डोंबिवली जिमखाना मैदान में प्रदर्शित की गई है, जहां प्रतिदिन हजारों नागरिक इसे देखने पहुंच रहे हैं। इस परियोजना की संकल्पना और आयोजन डोंबिवलीकर एक कल्चरल फैमिली द्वारा की गई, जिसका मार्गदर्शन भारतीय जनता पार्टी के महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण ने किया।
रविंद्र चव्हाण ने इस अवसर पर कहा कि डोंबिवली हमेशा से मराठी साहित्य, कला और संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र रहा है। उन्होंने बताया कि इस अनूठी पहल की प्रेरणा बचपन से मिले संस्कारों से मिली, जहां भारत माता को देवी स्वरूप में पूजा जाता है। उन्होंने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में इस ऐतिहासिक और रचनात्मक श्रद्धांजलि को देने का निर्णय लिया गया।
इस विशाल मोज़ेक कलाकृति की ऊंचाई लगभग 95 फीट और चौड़ाई 75 फीट है, जो इसे दीयों से बनी दुनिया की सबसे बड़ी कलाकृतियों में शामिल करती है। कलाकार चेतन राउत, प्रभु कपसे, वैभव कपसे और उनकी टीम ने लगातार नौ दिनों तक दिन-रात मेहनत कर इस कलाकृति को आकार दिया। दीयों को रंगना, सजाना और सटीक रूप से स्थापित करना एक बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था, जिसे कलाकारों ने अद्भुत कुशलता से पूरा किया।
रविंद्र चव्हाण ने कलाकारों और उनकी पूरी टीम की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह केवल एक कला कृति नहीं, बल्कि मातृभूमि के प्रति श्रद्धा और सम्मान का जीवंत प्रतीक है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि मिट्टी के दीयों का उपयोग उसी मिट्टी का प्रतीक है, जिससे भारत माता बनी हैं, जिससे इस रचना का भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्व और बढ़ जाता है।
यह भव्य स्थापना डोंबिवली जिमखाना द्वारा आयोजित वार्षिक उत्सव ‘उत्सव’ का हिस्सा है। आयोजकों ने बताया कि यह कलाकृति 28 दिसंबर 2025 तक आम जनता के लिए खुली रहेगी। नागरिकों से आग्रह किया गया है कि वे बड़ी संख्या में पहुंचकर इस ऐतिहासिक और प्रेरणादायक कलात्मक उपलब्धि का साक्षी बनें। डोंबिवली में बनी यह ‘भारत माता’ मोज़ेक न केवल एक विश्व रिकॉर्ड है, बल्कि यह कला, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति की वह मिसाल है, जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करती रहेगी।
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