मुंबई। शाहरुख़ खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग्स मामले से बचाने के लिए अब शिवसेना आगे आई है। शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने अपनी याचिका में आरोपी के मौलिक अधिकारों का हवाला दिया है। यहां सवाल यह है कि आखिर सरकार और उसके नेता क्यों आर्यन खान को बचाने में लगे हैं? ऐसी कौन सी वजह है कि बार-बार सरकार और उसके नेता नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी ) पर हमला कर उस पर आरोप लगा रहे हैं। हर बार एनसीबी सबूतों के साथ बेबुनियाद आरोपों को ख़ारिज कर दे रही है। दशहरा पर उद्धव ठाकरे ने भी केंद्र पर इस संबंध में सवाल उठाया था, जिसका जबाब बीजेपी नेताओं ने दिया था। सीएम ठाकरे के सवालों को जवाब देते हुए देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि महाराष्ट्र अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार है अगर जांच एजेंसियों का इस्तेमाल किया गया होता तो सरकार के आधे मंत्री जेल में होते।
अनुच्छेद 32 के तहत याचिका:शिवसेना नेता किशोर तिवारी ने चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना से इस मामले में स्वतः संज्ञान लेने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि केस में लगातार आर्यन खान के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। शिवसेना नेता ने अपनी याचिका में आगे लिखा है कि इस ड्रग्स मामले में नॉर्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। याचिका में इस मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की गई है। बता दें कि एनसीबी की भूमिका को लेकर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक भी लगातार सवाल उठा रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका देते हुए, राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त किशोर तिवारी ने सीजेआई एनवी रमण से इस मामले में ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ के आधार पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: उन्होंने कहा, पिछले लगभग दो वर्षों से ‘दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों’ के साथ एनसीबी पक्षपात रवैया अपना रहा है और फिल्मी हस्तियों, मॉडलों व अन्य सेलिब्रिटी को परेशान कर रहा है। अनुच्छेद 32 के तहत, सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित हर मामले का संज्ञान लेने के लिए बाध्य हैं, जैसा कि संविधान के भाग तीन के तहत गारंटी दी गई है।
आर्यन खान की हो रही काउंसलिंग: जिसका एनसीबी उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा, विशेष एनडीपीएस कोर्ट (मुंबई) द्वारा आर्यन खान और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर फैसला 20 अक्तूबर तक सार्वजनिक अवकाश का हवाला देते हुए टालने से आरोपी का बड़ा अपमान हुआ है। आर्यन खान को अलोकतांत्रिक व अवैध रूप से जेल में 17 रातों के लिए रखा गया। यह संविधान में निहित जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की पूरी तरह से अवहेलना है। बता दें कि आर्यन खान ने जेल हो रही काउंसलिंग के दौरान अच्छा नागरिक बनाने का वादा किया है। यह काउंसलिंग एनसीबी अधिकारियों और दो स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा की जा रही है।