भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पाकिस्तान का पूरा इलाका भारत की मारक क्षमता के भीतर आता है। उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर पाकिस्तानी सेना अपना मुख्यालय (जीएचक्यू) रावलपिंडी से कहीं और स्थानांतरित भी करती है, तो उन्हें “छिपने के लिए बहुत गहरा गड्ढा” खोजना पड़ेगा।
सेना की वायु रक्षा के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार में कहा, “पूरा पाकिस्तान हमारी सीमा में है। भारत के पास पाकिस्तान के हर क्षेत्र में हमला करने के लिए पर्याप्त सैन्य शक्ति और हथियार प्रणाली है। चाहे पाकिस्तान का इलाका चौड़ा हो या संकरा, हर स्थान हमारी पहुंच में है।”
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तानी सेना चाहे रावलपिंडी से खैबर पख्तूनख्वा या किसी अन्य जगह मुख्यालय स्थानांतरित करे, वह भी भारत की मारक सीमा में ही रहेगा।
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव के दौरान भारतीय सेना ने कई पाकिस्तानी वायुसेना अड्डों को निशाना बनाया, जिनमें रावलपिंडी स्थित पाकिस्तानी सेना मुख्यालय के आसपास के क्षेत्र भी शामिल रहे। इस अभियान में भारत द्वारा विकसित आधुनिक तकनीक, लंबी दूरी तक मार करने वाले ड्रोन और सटीक निर्देशित हथियारों का प्रयोग किया गया।
लेफ्टिनेंट जनरल डी’कुन्हा ने यह भी जानकारी दी कि पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा से चार दिनों में करीब 800 से 1000 हथियारबंद ड्रोन भेजे थे, लेकिन “सभी ड्रोन भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की संयुक्त कार्रवाई में नष्ट कर दिए गए।”
उन्होंने कहा, “जो भी मानवरहित लड़ाकू ड्रोन (यूसीएवी) हथियार लेकर आए थे और जिनका उद्देश्य हमारे नागरिक क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाना था, उन्हें हमारी सेना ने सफलतापूर्वक रोक दिया। सबसे बड़ी बात यह है कि एक भी नागरिक हताहत नहीं हुआ।”
यह सैन्य अभियान 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत तब शुरू किया गया था जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के हमले में 26 लोगों की जान गई थी। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान में मौजूद आतंकी शिविरों पर सटीक हमले किए। बदले में पाकिस्तान ने ड्रोन और सीमा पार गोलीबारी से भारतीय सीमा शहरों पर हमला किया।
भारत की जवाबी कार्रवाई इतनी प्रभावशाली रही कि पाकिस्तान को संघर्षविराम की पहल करनी पड़ी। दोनों देशों के बीच 10 मई को संघर्षविराम पर सहमति बनी, जो अब तक लागू है। इस बयान और अभियान से यह साफ है कि भारत अब अपनी सैन्य क्षमता और रणनीतिक सख्ती के ज़रिए आतंकी गतिविधियों और उसके सरपरस्तों को सीधा और प्रभावी जवाब देने की नीति पर काम कर रहा है।
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