मुंबई। फोन टैपिंग मामले को लेकर ठाकरे सरकार के निशाने पर आई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मी शुक्ला ने बांबे हाईकोर्ट में दावा किया है कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में तबादले के गोरख धंधों की पोल खोली इस लिए सरकार उनसे नाराज हो गई है। अपने वकील महेश जेठमलानी के माध्यम से शुक्ला ने कहा है कि फोन टैपिंग रिपोर्ट का कुछ हिस्सा विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस के हाथ लगने से राज्य सरकार मुझ पर ज्यादा खफा हुई है। इस लिए मुझे बली का बकरा बनाय़ा जा रहा है। आईपीएस अधिकारी शुक्ला की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि मेरे मुवक्किल का राज्य की खुफिया विभाग प्रमुख के पद से अवैध रुप से डायरेक्टर जनरल ऑफ सीविल डिफेंस के पद पर तबादल किया गया। जबकि तबादले से पहले इस पद अस्तित्व नहीं था। हालांकि मेरी मुवक्किल ने तबादले को चुनौती नहीं दी है। यह बात सिर्फ कोर्ट की जानकारी के लिए बताई जा रही है।
खुद को बचा रहे कुंटे
जेठमलानी ने कहा कि मेरी मुवक्किल ने तत्कालिन अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सीताराम कुंटे से अनुमति लेकर फोन टैपिंग की थी। अब कुंटे खुद को इस मामले से बचाने के प्रयास के तहत सबकुछ मेरी मुवक्किल पर थोप रहे हैं। मेरी मुवक्किल लाइ डिटेक्टर टेस्ट के लिए भी राजी है। क्या कुंटे इसके लिए तैयार है। इस तरह का बरताव एक कर्तव्यनिष्ठ आईपीएस अधिकारी के साथ उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण को लेकर जो एफआईआर है उसको लेकर सिर्फ मेरी मुवक्किल के खिलाफ जांच शुरु की गई है। जबकि एफआईआर में किसी का नाम नहीं हैं। मेरी मुवक्किल को इस मामले में ‘बली का बकरा’ बनाया जा रहा है। मेरी मुवक्किल के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर का एक मात्र उद्देश्य यह है कि राज्य के पुलिस महकमे के तबादले व तैनाती से जुड़े दस्तावेज सीबीईआई तक न पहुंचे। मेरी मुवक्किल ने जो फोन इनंटसेप्ट किए थे वह 150 पुलिस अधिकारियों के तबादले से जुड़े है। जिसमें से नौ लोगों को पोस्टिंग बकायदा मोलभाव करके दी गई है।