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Tuesday, December 16, 2025
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नकली Betnovate-C, Clop-G और Skinshine मरहम के बड़े रैकेट का भांडाफोड़

दो गिरफ्तार, 7,500 से ज्यादा ट्यूब जब्त

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दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 14 दिसंबर को दिल्ली–एनसीआर में नकली दवाओं के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस कार्रवाई में केवल डॉक्टर की पर्ची पर मिलने वाली शेड्यूल-H श्रेणी की नकली मरहम बनाने और बेचने वाले दो आरोपी 42 वर्षीय गौरव भगत और 27 वर्षीय विशाल गुप्ता को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने गाजियाबाद स्थित एक अवैध फैक्ट्री से Betnovate-C, Clop-G और Skinshine की 7,500 से अधिक नकली ट्यूब जब्त की हैं।

यह कार्रवाई उत्तरी दिल्ली के सदर बाजार और उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में की गई छापेमारी के बाद हुई। पुलिस के अनुसार, यह एक सुनियोजित नेटवर्क था, जो दिल्ली समेत देश के अन्य हिस्सों में भी नकली दवाओं की आपूर्ति कर रहा था।

क्राइम ब्रांच के मुताबिक, साइबर सेल को सदर बाजार के दवा और कॉस्मेटिक्स के बड़े थोक बाजार तेलीवाड़ा इलाके में नकली दवाओं की बिक्री की सूचना मिली थी। इसके बाद पुलिस ने एक गोदाम पर छापा मारकर बड़ी मात्रा में नकली शेड्यूल-H मरहम बरामद की।

इस संबंध में डीसीपी (क्राइम) आदित्य गौतम ने बताया कि जब्त की गई दवाओं में Betnovate-C और Clop-G शामिल हैं, जिनका उपयोग आमतौर पर खेल चोटों और त्वचा संबंधी समस्याओं के इलाज में किया जाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी नकली दवाओं का प्रचलन सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।

आगे की जांच में पुलिस गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र के पास मीरपुर हिंदू गांव स्थित एक अवैध निर्माण इकाई तक पहुंची। ड्रग इंस्पेक्टरों और संबंधित दवा कंपनियों के अधिकृत प्रतिनिधियों की मौजूदगी में फैक्ट्री पर छापा मारा गया।

छापेमारी के दौरान पुलिस ने करीब 1,200 नकली Betnovate-C ट्यूब, 2,700 Clop-G ट्यूब, 3,700 Skinshine ट्यूब और लगभग 22,000 खाली Clop-G ट्यूब बरामद कीं, जो भरने के लिए तैयार थीं। इसके अलावा 350 किलोग्राम से अधिक कच्चा माल, केमिकल्स, पैकेजिंग सामग्री और निर्माण में इस्तेमाल होने वाली मशीनरी भी जब्त की गई। जब्त सामग्री की कुल कीमत का आकलन किया जा रहा है।

गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। क्राइम ब्रांच थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश के ड्रग इंस्पेक्टरों ने मौके पर निरीक्षण कर नमूने एकत्र किए। संबंधित दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों ने पुष्टि की कि बरामद मरहम नकली हैं और न तो उनकी कंपनियों में बनाई गई हैं और न ही उनके द्वारा सप्लाई की गई हैं। पुलिस के अनुसार, आरोपियों के पास दवाओं के निर्माण, भंडारण या बिक्री का कोई वैध लाइसेंस नहीं था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस को संदेह है कि यह अवैध गतिविधि वर्ष 2019 से चल रही हो सकती है। निर्माण के बाद नकली दवाओं को पैक कर विक्रेताओं और डिलीवरी हैंडलर्स के नेटवर्क के जरिए विभिन्न बाजारों में भेजा जाता था।

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