हर साल दिसंबर में आसमान प्रेमियों के लिए सबसे शानदार खगोलीय शो आता है, जेमिनिड्स मीटियर शॉवर। इस बार भी 13–14 दिसंबर की रात भारत में लोग प्रति घंटे 100 से 120 टूटते तारे तक देख सकेंगे, बशर्ते आसमान साफ़ और अंधेरा हो। खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक यह साल का सबसे भरोसेमंद और ब्राइट मीटियर शॉवर माना जाता है।
जेमिनिड्स तब पैदा होते हैं जब पृथ्वी एस्टेरॉयड 3200 फैथॉन द्वारा छोड़े गए धूल–कणों के बादलों से गुजरती है। यह इसे अन्य मीटियर शॉवरों से अलग बनाता है, क्योंकि अधिकांश शॉवर धूमकेतु के मलबे से बनते हैं, जबकि जेमिनिड्स एक एस्टेरॉयड के स्रोत से आते हैं। इसी वजह से इनके मीटियर्स अधिक चमकदार, धीमी गति वाले और अक्सर फायरबॉल जैसे दिखते हैं।
खगोल विशेषज्ञों के अनुसार भारत में इसे देखने का सबसे अच्छा समय, 13 दिसंबर की आधी रात से 14 दिसंबर की प्रातः 4 बजे के बीच, जबकि सबसे अधिक गतिविधी लगभग रात 2 बजे होगी। ऐसे समय में नक्षत्र जेमिनी पूर्वी आसमान में काफी ऊंचा उठ जाता है, जिससे मीटियर रेट तेज़ हो जाता है।
यह खगोलीय शो भारत के हर हिस्से से दिखाई देगा, लेकिन अनुभव सबसे बेहतरीन वहीं मिलेगा जहां लाइट पॉल्यूशन कम हो। इसे देखने के लिए गांव, कस्बे, खुले मैदान, पहाड़ी इलाक़े, समुद्र किनारा, शहर से दूर, अंधेरे क्षेत्र बेहतर जगहें है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरु, जयपुर आदि से टूटते तारे देखे जा सकता है, लेकिन शहर की रोशनी दृश्यता को काफी कम कर देती है।
जेमिनिड्स देखने के लिए टेलिस्कोप, बाइनोकुलर जैसी कोई खास चीज़ की जरूरत नहीं होती। बल्कि, ये उपकरण आपके दृश्य को सीमित कर देते हैं। बस एक चटाई पर लेट जाएं, पूरा आकाश जितना हो सके उतना देखें, अपनी आंखों को 20–30 मिनट अंधेरे में एडजस्ट करने दें, मोबाइल स्क्रीन की चमक बिल्कुल कम करें, दिसंबर की ठंड को ध्यान में रखते हुए गर्म कपड़े पहनें, मीटियर्स मिथुन नक्षत्र से निकलते हुए लगते हैं, लेकिन वे आकाश के किसी भी हिस्से में चमक सकते हैं।
आसमान में क्षीण होता चांद रहेगा, जिससे रात और भी अंधेरी होगी और मीटियर्स और साफ नज़र आएंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक यह साल 2025 के सबसे शानदार मीटियर शॉवरों में से एक साबित हो सकता है। कुछ मीटियर्स तेज चमकदार फायरबॉल बनकर कुछ सेकंड तक लकीर छोड़ते हैं, जबकि कुछ बारीक चमकदार रेखाओं की तरह गुजरते हैं, दोनों ही दृश्य बेहद मनमोहक होते हैं।
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